मद्रास हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के पत्नी द्वारा पति को अंतरिम भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश देने वाला आदेश रद्द किया
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्नी को तलाक की याचिका के लंबित रहने के दौरान पति को अंतरिम भरण-पोषण के रूप में बीस हजार रुपये देने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस आर सुब्रमण्यम और जस्टिस के गोविंदराजन थिलाकावडी ने कहा कि फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश ने छोटी-सी प्रक्रिया को "बढ़ा" दिया और सहानुभूति खो दी। फैमिली जज ने कहा कि पति की एंजियोप्लास्टी हुई है और स्टेंट लगा है, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गया।
अपीलकर्ताओं ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि जब पति यह साबित करने में विफल रहा कि वह अपनी आजीविका चलाने में असमर्थ है तो अदालत को अंतरिम भरण-पोषण का निर्देश नहीं देना चाहिए था। इसके अलावा, पति द्वारा दावा किया गया एकमात्र कारण यह है कि उसकी एंजियोप्लास्टी हुई है।
आगे यह तर्क दिया गया कि एंजियोप्लास्टी बड़ी हृदय शल्य चिकित्सा नहीं है, जो व्यक्ति को अपंग कर दे और पति अभी भी व्यवसाय कर सकता है और अपनी आजीविका के लिए काम कर सकता है।
चूंकि मामला भरण-पोषण के भुगतान से जुड़ा है, इसलिए अदालत ने पत्नी द्वारा पेश किए गए पिछले वर्षों के पति के आयकर रिटर्न के आकलन पर गौर करना भी उचित समझा। अदालत ने कहा कि पति की पिछले वर्षों की औसत आय छह लाख से आठ लाख थी।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश कायम नहीं रह सकता। इस प्रकार, अदालत ने आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया और पत्नी द्वारा की गई अपील स्वीकार कर ली।
केस टाइटल: SR बनाम MCR
साइटेशन: लाइवलॉ (मेड) 81/2023
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें