वकीलों को एनसीएलटी पीठों के समक्ष गाउन पहनने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने एनसीएलटी के रजिस्ट्रार द्वारा जारी एक अधिसूचना को चुनौती देने वाले एडवोकेट आर राजेश की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा, जिसमें वकीलों के लिए एनसीएलटी की किसी भी पीठ के समक्ष पेश होने के दौरान गाउन पहनना अनिवार्य है।
जस्टिस आर महादेवन और जस्टिस मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने पक्षों को सुना और मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया।
इससे पहले, जस्टिस के रविचंद्रबाबू (सेवानिवृत्त होने के बाद) और जस्टिस टीएस शिवगणनम की पीठ ने उस आदेश के संचालन पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि वकीलों को केवल सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट्स में पेश होने के दौरान गाउन पहनना अनिवार्य है, यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के विपरीत है।
आज अदालत ने पक्षकार और वकील एस.आर. रघुनाथन, जिन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। बार काउंसिल ने याचिकाकर्ता की प्रार्थना का समर्थन किया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि रजिस्ट्रार के आदेश अधिकारातीत, अमान्य और अवैध है और इसे अवैध, मनमाना और किसी भी योग्यता से रहित होने के कारण रद्द कर दिया जाना चाहिए।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि एनसीएलटी के पास वकीलों को एनसीएलटी के समक्ष पेश होने के दौरान गाउन पहनने पर जोर देने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि अंतरिम रोक के आदेश के बाद भी, रजिस्ट्रार ने दिल्ली में एनसीएलटी की बेंच के सामने पेश होने के दौरान वकीलों के लिए गाउन पहनना अनिवार्य करते हुए एक और आदेश जारी किया था। नए आदेश का पता चलने के बाद याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रार को अवमानना का नोटिस भेजा था, जिसके बाद आदेश वापस ले लिया गया था।
अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि आदेश के संचालन पर स्थगन देने वाला अंतरिम आदेश मान्य होना चाहिए, और मामले को अंतिम आदेशों के लिए आरक्षित कर दिया।
केस टाइटल: आर राजेश बनाम भारत संघ और अन्य
केस नंबर : डब्ल्यूपी नंबर 31852 ऑफ 2017