मद्रास हाईकोर्ट ने 'द केरल स्टोरी' मूवी पर बैन की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की, कहा- यह नहीं मान सकते कि इससे समस्याएं पैदा होंगी

Update: 2023-05-04 13:01 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बहुभाषी फिल्म "द केरला स्टोरी" की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

चेन्नई के एक पत्रकार बीआर अरविंदक्षण ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि फिल्म देश की संप्रभुता और एकता को प्रभावित करेगी जिससे सार्वजनिक व्यवस्था में खलल पड़ेगा। उन्होंने तर्क दिया कि फिल्म केरल राज्य को आतंकवादी-समर्थक राज्य के रूप में चित्रित करने का एक जानबूझकर प्रयास है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी जाती है, तो यह पूरे देश के लिए अपमानजनक होगा क्योंकि इससे यह धारणा बनेगी कि भारत एक ऐसा देश है जो आतंकवादी पैदा करता है।

जस्टिस एडी जगदीश चंदिरा और जस्टिस सी सरवनन की अवकाशकालीन पीठ ने यह देखते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया कि केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फिल्म की रिलीज के मुद्दे पर विचार कर लिया है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से यह भी पूछा कि वे बिना फिल्म देखे यह कैसे मान सकते हैं कि फिल्म कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करेगी।

जस्टिस चंदिरा ने कहा,

"इतनी देर से क्यों आ रहे हो? अगर आप पहले आ जाते तो हम किसी को फिल्म देखने और फैसला करने के लिए कह सकते थे। आपने अभी तक फिल्म नहीं देखी है। आप कैसे मान सकते हो कि समस्या होगी? इसके अलावा केरल हाईकोर्ट पहले ही इस मामले को अपने कब्जे में ले चुका है..हम इस मामले को खारिज कर रहे हैं। केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे से निपट चुके हैं।"

याचिकाकर्ता एडवोकेट ने फिल्म को दिए गए प्रमाणपत्र को चुनौती दी थी। यह तर्क दिया गया था कि फिल्म सिनेमैटोग्राफी अधिनियम की धारा 5 (बी) के तहत प्रमाणन के लिए अयोग्य थी, जो फिल्म के किसी भी हिस्से को राज्य की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के खिलाफ पाए जाने पर प्रमाणन को रोकता है। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि फिल्म के निर्माताओं ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और दावा किया था कि 32000 महिलाएं आईएसआईएस संगठन में शामिल हुई हैं। यह भी कहा गया कि गृह मंत्रालय के पास भी इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आतंकवादी संगठन में शामिल होने का कोई आंकड़ा नहीं है।

यह पूछे जाने पर कि क्या फिल्म किसी अनुभवजन्य डेटा या रिकॉर्ड पर आधारित है, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि फिल्म के निर्देशक ने यह दावा करते हुए साक्षात्कार दिया था कि आंकड़े केरल के एक पूर्व मुख्यमंत्री के भाषण के आधार पर आए थे। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि फिल्म निर्माता दावा कर रहे थे कि वे कुछ सच्चाई उजागर कर रहे थे और इस प्रकार यह केरल में हो रही घटनाओं पर आधारित है।

फिल्म निर्माता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सतोष परासरन ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि केरल हाईकोर्ट ने पहले ही फिल्म की रिलीज के लिए मंजूरी दे दी थी और यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह की याचिका में राहत को खारिज कर दिया था।

केस टाइटल: बीआर अरविंदक्षण बनाम भारत संघ और अन्य

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