मद्रास हाईकोर्ट ने जानवरों के अवैध परिवहन और वध रोकने के लिए निर्देश जारी किए, कहा- पुलिस चूककर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही

Update: 2022-07-15 09:11 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य में गायों और अन्य जानवरों के अवैध परिवहन और उन्हें खुले स्थानों पर वध करने पर चिंता व्यक्त की।

चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की खंडपीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति तभी उत्पन्न हो सकती है जब प्रशासन कानून के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहता है और चूककर्ताओं के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती है।

अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम के प्रावधान जैसे तमिलनाडु पशु संरक्षण अधिनियम, 1958, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960; पशु परिवहन नियम, 1978, पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुओं का पैदल परिवहन) नियम, 2001; जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (वधशाला) नियम, 2001, पशुओं के साथ क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजार का विनियमन) नियम, 2017 और जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम (केस प्रॉपर्टी जानवरों की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017 आदि का राज्य में उल्लंघन किया जा रहा है।

अदालत ने कहा कि पर्याप्त क़ानून होने के बावजूद, पुलिस प्रशासन अवैध परिवहन, वध और जानवरों की नीलामी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है।

कोर्ट ने कहा,

हम पाते हैं कि पूर्वोक्त प्रावधानों के बावजूद, राज्य प्राधिकरण, जिसमें पुलिस प्रशासन भी शामिल हो सकता है, जानवरों के अवैध परिवहन और उनके वध और यहां तक ​​कि अवैध नीलामी पर तत्काल कार्रवाई करने में विफल रहे।

राज्य ने प्रार्थना का विरोध नहीं किया और इसके बजाय नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए सभी कदमों को सूचीबद्ध किया। राज्य ने अदालत को यह भी बताया कि सभी विभाग पुलिस और परिवहन विभाग के साथ मिलकर अवैध परिवहन और वध पर रोक लगाने के लिए काम कर रहे हैं।

राज्य ने अदालत को यह भी बताया कि तमिलनाडु पशु कल्याण बोर्ड का गठन पशु कल्याण को बढ़ावा देने और अधिनियमों के सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। बोर्ड के कार्यों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। यह भी प्रस्तुत किया गया था कि जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम के लिए एक सोसायटी बनाई गई है, जिसका कार्य जानवरों के परिवहन या वध करते समय अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन के बारे में पुलिस विभाग को सूचित करना है।

अदालत ने याचिकाकर्ताओं की याचिका में योग्यता पाई और जानवरों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए, 

1. राज्य को अपने विभागों के माध्यम से यह सुनिश्चित करना होगा कि कानूनों और नियमों के उल्लंघन में कोई वध या परिवहन न हो।

2. जिला स्तरीय समिति और राज्य बोर्ड को नियमों और विनियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

3. किसी भी व्यक्ति को उल्लंघन करते पाए जाने पर अधिनियम 1960 और 1978 और 2001 के नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन की कार्रवाई की जाए और आरोपी के खिलाफ मामले दर्ज करने के साथ तत्काल कार्रवाई की जाए।

4. परिवहन विभाग को पशुओं के परिवहन की निगरानी करे। इसके लिए चेक पोस्टों, टोल गेटों आदि पर उपलब्ध सीसीटीवी कैमरे की फुटेज जिला स्तरीय समिति को उपलब्ध कराई जाए।

5. राज्य को यह सुनिश्चित करना था कि वध नियमों के अनुसार और एक लाइसेंस प्राप्त बूचड़खाने में किया जाए, न कि किसी खुले स्थान पर।

6. जब भी अधिकारियों के संज्ञान में पशुओं का अवैध परिवहन लाया जाए, अपराधियों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाए और साथ ही जानवरों को बरामद किया जाए और सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाए।

7. समय-समय पर निगरानी की जाए और नियमों के उल्लंघन में किसी भी जानवर को तमिलनाडु राज्य के क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाए।

8. 1958 के अधिनियम की धारा 4 के प्रावधान के उल्लंघन में वध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

9. राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि जानवरों की नीलामी भी नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार हो।

10. प्रक्रियाओं का नियमित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय समिति को आदेश की एक प्रति प्रदान की जाए।

11. किसी भी उल्लंघन के मामले में, मामले में आगे की कार्रवाई के साथ मामला दर्ज करने के लिए तुरंत संबंधित पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में लाया जाएगा।

जिला कलेक्टर को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए उनके जिले में कोई भी परिवहन या जानवरों का वध न हो।


केस शीर्षक: ई. शेषन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

मामला संख्या: W.P.Nos.13748 of 2021 (बैच मामले)

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 301


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