मर्डर केस की सुनवाई करने वाले जज का कार्यकाल बढ़ाने के लिए याचिका : "मामले को दूसरे जज द्वारा टेक ओवर करने में कोई बाधा नहीं", मद्रास हाईकोर्ट ने जुलाई तक ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया

Update: 2021-06-04 12:05 GMT
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मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को यह देखते हुए कि किसी न्यायाधीश के रियाटरमेंट (पद छोड़ने) के बाद नए आने वाले न्यायाधीश द्वारा मामले को संभालने और कानून के अनुसार उससे निपटने में नए न्यायाधीश को कोई बाधा नहीं होनी चाहिए, एक हत्या के मुकदमे पर सुनवाई कर रहे एक न्यायाधीश के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ एक न्यायाधीश के कार्यकाल को बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह न्यायाधीश 31 मई को पद रहे हैं और उनके समक्ष हत्या का एक मामला लंबित है। याचिका में मांग की गई थी कि न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाया जाए, जिससे वह उक्त मामले में सुनवाई पूरी कर सके।

शुरुआत में कोर्ट ने कहा कि एक असाधारण स्थिति में एक विस्तार दिया जा सकता है। खासकर जब से महामारी और उसके बाद अदालतों को बंद करने के मद्देनजर मामले में कोई सार्थक कदम उठाए बिना बहुत समय बिताया गया है।

हालांकि, कोर्ट ने मुख्य आरोपी की ओर से इस दलील को भी नोट किया कि ऐसा नहीं है कि इस जज द्वारा पूरी सुनवाई की गई थी।

रजिस्ट्री ने यह भी बताया कि संबंधित न्यायाधीश को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। हालांकि, कोर्ट ने नोट किया कि एक आपात स्थिति में इस तरह के आदेश को न्यायिक आदेश द्वारा पूर्ववत किया जा सकता है।

फिर भी कोर्ट ने कहा:

"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस न्यायाधीश के समक्ष संपूर्ण ट्रायल नहीं किया गया हो सकता है, पद के उत्तराधिकारी के मामले को संभालने और कानून के अनुसार इसे यथासंभव शीघ्रता से निपटने में कोई बाधा नहीं हो सकती है।"

तदनुसार, याचिका को न्यायालय के रजिस्ट्रार-जनरल को एक निर्देश के साथ निपटाया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित न्यायालय में वर्तमान पदाधिकारी की सेवानिवृत्ति खाली हुए पद पर अगले पखवाड़े तक नियुक्ति की जा सके। ताकि मामले का निष्कर्ष 15 जून, 2021 से जुलाई, 2021 तक अभियोजन या बचाव पक्ष को कोई और कोई समय आगे बढ़ाए बिना निकाला जा सके।

साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया कि बाकी मामले को वर्चुअल मोड पर समाप्त किया जा सकता है, अगर तर्क बाकी रहते हैं और मामले से निपटने के लिए किसी भी पक्ष से कोई स्थगन नहीं मांगा जाना चाहिए।

केस का शीर्षक - ए.ए. मोहन बनाम प्रमुख सचिव विधि, न्यायालय एवं कारागार सचिवालय एवं अन्य

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