निजी ठेकेदारों के माध्यम से मैला ढोने वालों को नियुक्त नहीं कर सकते, इसके लिए नगरपालिकाओं के आयुक्तों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-08-23 05:28 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने मैला ढोने (Manual Scavenging) की प्रथा को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि यदि किसी नगरपालिका को निजी ठेकेदारों के माध्यम से भी हाथ से मैला ढोने की प्रथा में लिप्त देखा जाता है तो उक्त नगरपालिका के आयुक्त को उसी के लिए उत्तरदायी बनाया जाए।

चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस एन माला की पीठ सफाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

याचिकाकर्ताओं ने मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के रूप में रोजगार के निषेध के तहत प्रदान की गई सतर्कता समिति की स्थापना और इसकी निगरानी के लिए उचित नियम स्थापित करने की भी मांग की।

अदालत ने पहले निर्देश दिया था कि निगमों और नगर पालिकाओं के प्रमुखों को उनके क्षेत्रों के भीतर हाथ से मैला ढोने के कारण किसी भी मौत के लिए 'व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी' ठहराया जाएगा।

कोर्ट ने कहा था,

हाथ से मैला ढोने की कोई गतिविधि नहीं हो सकती। यह सुनिश्चित करना राज्य भर के सभी नगर निकायों और निगमों की जिम्मेदारी बनी रहेगी कि कोई भी हाथ से मैला ढोने की गतिविधि न हो। जैसा कि पिछले आदेशों में दर्शाया गया कि निगमों के आयुक्त और नगर पालिकाओं के प्रमुख किसी भी हाथ से मैला ढोने की गतिविधि का पता चलने या उसके दौरान कोई दुर्घटना होने पर व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से श्रीनाथ श्रीदेवन ने अदालत को सूचित किया कि उपरोक्त अंतरिम आदेश पारित करने के बाद निगमों ने निजी ठेकेदारों के माध्यम से हाथ से मैला ढोने के लिए व्यक्तियों को नियुक्त करना जारी रखा। ऐसे काम करते हुए 15 लोगों की मौत हो गई। इनमें से पिछले हफ्ते ही दो लोगों की मौत हुई है। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि उन्होंने इन सभी घटनाओं को उजागर करते हुए अतिरिक्त हलफनामा दायर किया है।

हुई मौतों को देखते हुए अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि मामले की सुनवाई की तत्काल आवश्यकता है। हालांकि, पक्षकारों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। इस प्रकार, अदालत ने प्रतिवादी अधिकारियों को अतिरिक्त हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।

पिछले हफ्ते याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि हाईकोर्ट परिसर के बाहर सीवेज साफ करने के लिए मजदूरों को लगाया जा रहा है। अदालत ने घटना को गंभीरता से लेते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने अदालत को सूचित किया कि ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे तुरंत काम बंद कर दें और क्षेत्र को बंद कर दें।

केस टाइटल: सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत संघ और अन्य

केस नंबर: डब्ल्यूपी नंबर 17380/2017

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