BCI को AIBE के लिए अलग से ली जाने वाली फीस को चुनौती देने वाले वकील के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने का निर्देश

Update: 2025-03-26 03:28 GMT
BCI को AIBE के लिए अलग से ली जाने वाली फीस को चुनौती देने वाले वकील के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने का निर्देश

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा 3500 रुपये की अलग से फीस लेने को चुनौती देने वाले वकील के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने को कहा।

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने कहा,

"यह न्यायालय मामले के गुण-दोष के आधार पर इस स्तर पर हस्तक्षेप करने से इनकार करता है। प्रतिवादी-बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देता है कि वह याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए प्रतिनिधित्व पर विचार करे। इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों की अवधि के भीतर निर्णय ले तथा उस पर एक स्पष्ट आदेश पारित करे।"

यह जनहित याचिका पेशे से वकील तुषार तंवर द्वारा दायर की गई, जिन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि AIBE के लिए परीक्षा फीस लेने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया को सशक्त बनाने के लिए कानून के तहत कोई सक्षम प्रावधान नहीं है।

याचिका में यह घोषित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई कि BCI द्वारा AIBE के लिए आवेदन शुल्क के रूप में सामान्य/ओबीसी उम्मीदवारों से 3500 रुपये और अन्य आकस्मिक फीस तथा SC/ST उम्मीदवारों से 2500 रुपये और अन्य आकस्मिक फीस लिया जाना एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 24(1)(एफ) का उल्लंघन करता है और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) तथा अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है तथा गौरव कुमार बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध है।

यह निर्देश यह दिखाने के लिए भी मांगा गया कि AIBE के रूप में शुल्क कैसे एकत्र किया जा रहा है, क्योंकि यह अनुचित है, अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन करता है, मनमाना है तथा गौरव कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विपरीत है।

राज्य बार एनरॉलमेंट फीस पर स्पष्ट सीमा निर्धारित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गौरव कुमार मामले में स्पष्ट किया था कि वकीलों से नामांकन के लिए पूर्व शर्त के रूप में उनके द्वारा एकत्र की गई कोई भी राशि 'एनरॉलमेंट फीस' के बराबर होगी।

न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि बार काउंसिल को नामांकित वकीलों से उनकी सेवाओं के लिए फीस वसूलने के अन्य तरीके खोजने चाहिए। पीठ ने SBC और BCI को फीस वसूलने के लिए उचित तरीके विकसित करने की सलाह दी। इन तरीकों में नए लॉ ग्रेजुएट और पहले से नामांकित एडवोकेट दोनों पर विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने बताया कि प्रैक्टिसनर वकीलों से धन एकत्र करने के मौजूदा तरीके हैं।

केस टाइटल: तुषार तंवर बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया

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