लॉकडाउन में छूट प्राप्त लोगों के मेडिकल परीक्षण की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया, लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को गिरफ्तार करने का निर्देश

Update: 2020-04-09 13:16 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें उन सभी व्यक्तियों के मेडिकल परीक्षण के लिए निर्देश देने की मांग की गई है जिनको लॉकडाउन में या छूट दी गई है और वे ऐसी सेवाओं में लगे हैं, जिनसे सार्वजनिक संपर्क हो रहा है।

गैर-लाभकारी कंपनी इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें मांग की गई है कि संघ और राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय संयुक्त रूप से ऐसे सभी छूट प्राप्त वाले व्यक्तियों का एक डेटाबेस बनाने के लिए काम करें और इन सभी का सौ प्रतिशत परीक्षण सुनिश्चित करें।

यह देखते हुए कि इस मामले में बड़ा जनहित शामिल है, जस्टिस एन.किरुबाकरन और जस्टिस आर.हेमलता की पीठ ने नोटिस जारी किया और स्वत संज्ञान लेते हुए भारतीय संघ को इस मामले में एक पक्षकार बनाया गया है।

अदालत ने निर्देश दिया कि

''चूंकि यह एक जनहित याचिका है, इसलिए यह न्यायालय COVID 19 वायरस से उत्पन्न होने वाले मुद्दों से व्यापक रूप से निपटना चाहेगा। ऐसे में यह न्यायालय स्वत संज्ञान लेते हुए इस मामले में ''सरकार के सचिव, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली को तीसरे प्रतिवादी के रूप में भारत संघ का प्रतिनिधित्व'' करने का निर्देश देता है। ''

सुनवाई के दौरान पीठ ने COVID-19 महामारी से संबंधित कई अन्य पहलुओं पर भी विचार किया।

लॉकडाउन उल्लंघन पर दिए निर्देश

लॉकडाउन के बड़े पैमाने पर हो रहे उल्लंघन के खिलाफ संज्ञान लेते हुए, पीठ ने आदेश दिया है कि पुलिस यह सुनिश्चित करें कि लोग अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और इसके लिए गिरफ्तारी और जब्ती का सहारा लिया जा सकता है।

पीठ ने कहा,

''... पुलिस अधिकारियों के पास खुला विकल्प है कि जो लोग धारा 144 के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ दो पहिया वाहन या चार पहिया वाहनों को जब्त भी कर सकती है। वहीं निर्देश दिया जाता है कि अगर कोई दोपहर एक बजे के बाद बिना कारण के बाहर आता है तो पुलिस अधिकारी उससे पूछताछ करते सकते हैं या उनके द्वारा किए गए उल्लंघन के बारे में उल्लंघनकर्ताओं (सरकारी या निजी कर्मचारी) के नियोक्ता को सूचित करें।''

इसी बीच पीठ ने भी तमिलनाडु राज्य को घातक महामारी से लड़ने के लिए आवंटित धन की अपर्याप्तता पर भी टिप्पणी की।

मुख्य रूप से, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष (एसडीआरएमएफ) के तहत सभी राज्यों को COVID-19 महामारी के रोकथाम के उपाय करने के लिए 11,092 करोड़ का फंड जारी किया है। इस विमोचन के तहत, तमिलनाडु को 510 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जबकि तमिलनाडु में 690 COVID पॉजिटिव केस पाए गए हैं और वह देश के प्रभावित राज्यों में दूसरे नंबर पर है।

इस पृष्ठभूमि में पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि-

''हालांकि आपदा जोखिम प्रबंधन कोष जारी करने के संबंध में, गृह मंत्रालय ने केवल 510 करोड़ रुपये जारी किए हैं जो इस न्यायालय की राय में पर्याप्त नहीं हैं,जबकि, जिन राज्यों में वायरस संक्रमित रोगियों की संख्या कम है, उन्हें अधिक निधि आवंटित की गई है। यह न्यायालय अन्य राज्यों को अधिक फंड आवंटन करने के खिलाफ नहीं है, लेकिन तमिलनाडु को निधि की कम राशि मिलने के बारे में चिंतित है। इसलिए, केंद्र सरकार सकारात्मक रूप से इस राशि को बढ़ाने पर विचार कर सकती है। "

इसके अलावा, पीठ ने कुछ प्रवासी और दैनिक मजदूरी करने वाले प्रदर्शनकारियों के मामले पर भी ध्यान दिया। जिन्हें इस संकट के दौरान आवश्यक आपूर्ति नहीं की गई है। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि सभी संबंधितों को भोजन और आश्रय प्रदान किया जाए।

पीठ ने निर्देश दिया है कि-

''... लॉकडाउन होने के कारण लाखों लोग प्रभावित हैं। दैनिक मजदूरी करने वाले, प्रवासी श्रमिक और प्लेटफॉर्म निवासी बिना भोजन और आश्रय के हैं। हालांकि सरकार भोजन प्रदान करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, लेकिन मीडिया में खबरें सामने आई हैं कि तिरुपुर और कोयम्बटूर जैसी जगहों पर कुछ प्रवासी श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन किया है, क्योंकि उन्हें भोजन और आश्रय नहीं दिया गया है।

इसलिए, अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे उन व्यक्तियों का सत्यापन करें जो बिना भोजन और आश्रय के रह रहे हैं और उन्हें सामुदायिक रसोई उपलब्ध कराएं।''

अदालत ने उन सभी परिवार के सदस्यों और उन लोगों के दोस्तों से आगे आने की अपील की है जिनका COVID टेस्ट पॉज़िटिव आया है या जो विदेश से लौटे हैं। पीठ ने आग्रह किया है कि वह सभी खुद के साथ-साथ समाज की भलाई के लिए अपना टेस्ट करवाएं।

कोर्ट ने कहा कि-

"भले ही तमिलनाडु में 690 COVID पॉजिटिव मरीज मिले हों, लेकिन यह कहा जा रहा है कि ऐसे मरीजों के परिवार के सदस्य और दोस्त खुद का परीक्षण करवाने और क्वारनटाइन होने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, जबकि यह महामारी जंगल की आग की तरह फैलती है। यह केवल किसी व्यक्ति को प्रभावित नहीं करेगा बल्कि उनके परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और यहां तक कि पूरे गांव या कस्बे को भी प्रभावित करेगा।

इसके अलावा, कई लोग फरवरी के अंत से विदेशों से आए हैं और उन्होंने स्वेच्छा से न तो परीक्षण करवाया और न ही क्वारनटाइन में रहे हैं। इसलिए, यह न्यायालय उन लोगों से अपील करता है जिन्होंने हाल के दिनों में विदेश यात्रा की है, उनके परिवार के सदस्यों और दोस्तों से भी कि वह खुद का परीक्षण करवाएं और क्वारनटाइन में रहें। क्योंकि यह जनता के हित में है और महामारी को नियंत्रित करने में सक्षम बनाएगा।''

मामले का विवरण-

केस का शीर्षक- इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी बनाम तमिलनाडु सरकार व अन्य।

केस नंबर- डब्ल्यूपी नंबर 7443/2020

कोरम- न्यायमूर्ति एन.किरुबाकरण और न्यायमूर्ति आर. हेमलथा

प्रतिनिधित्व- अधिवक्ता सुब्रमणि (याचिकाकर्ता के लिए) और अतिरिक्त महाधिवक्ता पीएच अरविंद पांडियन साथ में विशेष सरकारी वकील ए.एन थम्बीदुरई और सरकारी अधिवक्ता सी.वी सेलेंदरन (राज्य के लिए) , वरिष्ठ पैनल वकील वी.चंद्रशेखरन (केंद्र के लिए)

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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