मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने ही आदेश को वापस लिया; वकीलों ने बताया था, बेंच हंटिंग के लिए इस्तेमाल हो रहा था आदेश
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने ही एक आदेश को तब वापस ले लिया, जब उन्हें बताया गया कि वकील उक्त आदेश का दुरुपयोग बेंच हंटिंग के लिए कर रहे हैं। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की पीठ ने पाया कि मामले में शामिल वकीलों ने बेंच हंटिंग की बात स्वीकार की है।
उल्लेखनीय है कि बेंच हंटिंग एक ऐसी प्रैक्टिस हैं, जहां वादी या वकील किसी मामले को उन जजों के समक्ष सूचीबद्ध कराने का प्रयास करते हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे उन्हें अनुकूल आदेश देंगे।
हाईकोर्ट के समक्ष एक रिव्यू पीटिशन दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट की ओर से 10 मई, 2022 को दिए आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी। 10 मई, 2022 को दिए आदेश में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिस भी मामले में एडवोकेट विनायक प्रसाद शाह शामिल हों, उसे उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध न किया जाए, जिसमें जस्टिस पुरुषैंद्र कुमार कौरव शामिल हों।
रिव्यू पीटिशन पर 10 अक्टूबर, 2023 को दिए आदेश में कोर्ट ने याचिका में व्यक्त चिंता से सहमत जताई कि बेंच हंटिंग वकीलों या जजों के लिए ठीक नहीं है।
कोर्ट ने आदेश में कहा,
"याचिका में जो कहा गया है, हम उससे पूरी तरह सहमत हैं। वास्तव में, हमने नोटिस किया है इस याचिका में वकालत पर हस्ताक्षर करने वाले वकील श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर, श्री विनायक प्रसाद शाह, श्री परमानंद साहू और श्री रूप सिंह मरावी हैं। वे खुद कह रहे हैं कि वे बेंच हंटिंग में शामिल हैं, जिसे रोकना होगा। उन्होंने स्वीकार किया है कि वे बेंच हंटिंग कर रहे थे। इसलिए, विद्वान अधिवक्ताओं की ओर से की गई स्वीकृति के मद्देनजर कि वे बेंच हंटिंग में शामिल हैं, हम उचित मानते हैं कि आदेश को वापस ले लिया जाए।"
उक्त टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने रिव्यू पीटिशन को अनुमति दी थी और 10 मई 2022 के आदेश को रिकॉल कर लिया था।
पृष्ठभूमि
10 मई 2022 के आदेश को 2022 की रिट याचिका में पारित किया गया था, जिसे अंततः इसी साल जनवरी में खारिज कर दिया गया। कोर्ट को पुनर्विचार याचिका के माध्यम से हाल ही में बताया गया कि 10 मई 2022 के आदेश का अन्य वकील बेंच हंटिंग के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं।
अदालत को बताया गया कि वादी अदालती कार्यवाही में हेरफेर करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका मामला एक निश्चित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध न हो, एडवोकेट शाह को वकील के रूप में नियुक्त कर रहे हैं। याचिका में 10 मई के आदेश पर पुनर्विचार करने और उसे वापस लेने की मांग की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि बेंच हंटिंग बार और बेंच दोनों के लिए अच्छी नहीं है।
याचिका में कहा गया, "किसी विशेष बेंच में विशेष वकील के मामलों को सूचीबद्ध करने पर रोक बेंच हंटिंग का एक साधन है, यह न्याय प्रशासन के लिए अच्छा नहीं है।"
याचिकाकर्ता एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की ओर से एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर, एडवोकेट विनायक प्रसाद शाह, एडवोकेट परमानंद साहू और एडवोकेट रूप सिंह मरावी उपस्थित हुए।
एडवोकेट आशीष श्रोती मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए और उप महाधिवक्ता अमित सेठ ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया।