मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रिट याचिका से निपटने में लापरवाही के लिए वकील पर जुर्माना लगाया

Update: 2023-08-25 05:30 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कानूनी मामलों में लापरवाही से निपटने के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए एक वकील को 10,000/- रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया, क्योंकि वकील ने खुद द्वारा दायर एक रिट याचिका से निपटने में लापरवाही बरती।

अदालत का यह आदेश 2003 में तत्कालीन सहायक सीमा शुल्क आयुक्त (एमपी) द्वारा दायर एक रिट याचिका के निपटारे पर अदालत के असंतोष के मद्देनजर आया, जिसे 2014 में प्रोसेस फीस के भुगतान से संबंधित एक अनिवार्य आदेश का पालन करने में विफल रहने के कारण खारिज कर दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने 15 मई, 2015 के आदेश के तहत रिट याचिका की बहाली की अनुमति दी थी, जो चार सप्ताह की अवधि के भीतर अनिवार्य आदेश के सख्त अनुपालन के अधीन थी। हालांकि, इसका भी अनुपालन नहीं किया गया और इसलिए, बहाली के लिए यह दूसरा आवेदन दायर किया गया।

मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस अनिल वर्मा की खंडपीठ ने 2018 में दायर दूसरे आवेदन को उसमें बताए गए कारणों पर विचार करते हुए स्वीकार कर लिया। हालांकि इसने निर्देश दिया, "जिस लापरवाही से वकील द्वारा याचिका को संभाला जा रहा है, उसे देखते हुए उन्हें एमपीएचसी कर्मचारी संघ इंदौर के अध्यक्ष और सचिव को अपने व्यक्तिगत कोष से 10,000/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है।"

केस टाइटल : सहायक आयुक्त, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क प्रभाग बनाम तहसीलदार

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