जबलपुर फ्लाईओवर पर राउंडअबाउट असामान्य, हाईकोर्ट ने राज्य से कहा- सुरक्षा सुनिश्चित करें
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (22 सितंबर) को जबलपुर के मदन माहल से दमोह नाका तक बने 7 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर को लेकर दायर एक पीआईएल को निपटाते हुए कहा कि फ्लाईओवर पर राउंडअबाउट लगाना असामान्य है और इसे लेकर सावधानी बरती जाए।
कोर्ट ने राज्य सरकार से निर्देश दिए कि फ्लाईओवर पर यातायात और दुर्घटनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
पीआईएल एक एडवोकेट ने दायर किया, जिसमें उन्होंने फ्लाईओवर के पास रहने वाले नागरिकों की गोपनीयता की सुरक्षा और शोर प्रदूषण कम करने की मांग की थी। सीनियर एडवोकेट आदित्य सांगवी ने कोर्ट को बताया कि फ्लाईओवर शहर के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरता है और इसमें प्रदर्शन संकेत, गति सीमाएं और पुलिस निगरानी की कमी है जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई है।
साथ ही एडवोकेट ने बताया कि बाइकर्स फ्लाईओवर को रेसिंग पॉइंट के रूप में उपयोग कर रहे हैं, और आने वाले दशहरा त्योहारों के चलते यातायात और बढ़ने की संभावना है। फ्लाईओवर में उचित यू-टर्न और दिशा संकेतों की कमी के कारण कई गंभीर दुर्घटनाएँ और मौतें हो चुकी हैं।
कोर्ट ने फ्लाईओवर की तस्वीरों का निरीक्षण करने के बाद डिजाइन पर चिंता जताई और कहा,
"राउंडअबाउट फ्लाईओवर पर असामान्य और सुगम न होने वाला है। भारत में लोग राउंडअबाउट को संभालना नहीं जानते।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि डिवाइडर नहीं होगा तो यातायात जाम और भी बढ़ेगा, और लोगों को सही दिशा में निकालना मुश्किल होगा।
राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि संभाव्यता और व्यावहारिकता का अध्ययन करके व्यू कटर्स लगाने, पर्याप्त संकेत पोस्ट और कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी ताकि यातायात जाम या दुर्घटनाएँ न हों।
कोर्ट ने इस आश्वासन के मद्देनजर पीआईएल को निपटा दिया और निर्देश दिया कि राज्य सरकार फ्लाईओवर पर व्यू कटर्स लगाने की संभावना पर विचार करे, पर्याप्त संकेत पोस्ट लगाए और पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती करे।
यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि शहरी ढांचागत परियोजनाओं में डिजाइन और सुरक्षा दोनों का समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है।