सीनियर वकीलों के लिए पेंशन योजना: एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और बार काउंसिलों को नोटिस जारी किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में जनहित याचिका (PIL) पर राज्य सरकार स्टेट बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया। इस याचिका में उन वकीलों के लिए कल्याणकारी योजना बनाने की मांग की गई, जिन्होंने 35 से 40 वर्ष की प्रैक्टिस पूरी कर ली है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट राजेंद्र श्रीवास्तव ने दावा किया कि वकील कानूनी पेशे में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं लेकिन उनमें से कई अपने करियर के अंतिम चरण में आर्थिक रूप से खुद को बनाए रखने में असमर्थ हो जाते हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी मांग के समर्थन में बिहार स्टेट बार काउंसिल एडवोकेट्स' वेलफेयर स्कीम (पेंशन और फैमिली पेंशन) नियम, 2012 का हवाला दिया, जिसमें वकीलों और/या उनके परिवार के लिए पेंशन का प्रावधान है।
बिहार योजना में प्रावधान है कि पेंशन फंड से उन वकीलों को पेंशन दी जाती है, जो योजना के सदस्य बनते हैं और बुढ़ापे के कारण सक्रिय प्रैक्टिस से रिटायर हो चुके हैं (यानी, कम से कम 65 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं)। 65 वर्ष की आयु तक उन्हें कम से कम 30 वर्ष की प्रैक्टिस पूरी करनी चाहिए थी। लाभ लेने के लिए वकीलों को पेंशन योजना का सदस्य कम-से-कम दस वर्ष तक रहना अनिवार्य है। हालांकि 70 वर्ष की आयु पूरी करने वाले वकीलों को इस 10 वर्ष की सदस्यता की शर्त से छूट दी गई।
इंदौर पीठ में बैठे चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने स्टेट बार काउंसिल को इसी तरह की कल्याणकारी योजना की व्यवहार्यता पर विचार करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"बिहार स्टेट बार काउंसिल एडवोकेट्स वेलफेयर स्कीम (पेंशन और फैमिली पेंशन) नियम, 2012 की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत की गई। इसे रिकॉर्ड पर लिया जाता है। नोटिस जारी किया जाए। स्टेट बार काउंसिल विचार करे कि क्या मध्य प्रदेश राज्य के वकीलों के लिए इसी तरह की योजना तैयार की जा सकती है और इस कोर्ट को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।"
स्टेट बार काउंसिल का प्रधान कार्यालय जबलपुर में स्थित है, इसलिए कोर्ट ने याचिका को जबलपुर पीठ में स्थानांतरित कर दिया।
मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर, 2025 को होगी।