लोक अदालत का मतलब है त्वरित और किफायती न्याय: कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने पोर्ट ब्लेयर में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन किया

Update: 2024-06-17 09:46 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम ने हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर, मायाबंदर और डिगलीपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन किया।

चीफ जस्टिस ने बताया कि लोक अदालतें त्वरित और किफायती न्याय की कुंजी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत की पीठों और मामलों की संख्या के बारे में भेजे गए आंकड़ों से पता चलता है कि SLSA और DSLA ने सभी हितधारकों के सहयोग से बहुत अच्छा काम किया।

चीफ जस्टिस ने कहा,

"छह पीठों का गठन किया गया। लोक अदालत के लिए 1500 से अधिक मामले भेजे गए। 729 मुकदमे-पूर्व चरण में और 830 मामले लंबित हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि लोक अदालत के आयोजन में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जिले के सभी संबंधित जज इसमें भाग लें, जिससे यह आयोजन समग्र रूप से सफल हो सके।

उन्होंने कहा,

"हमेशा से मेरा मानना ​​रहा है कि लोक अदालत ऐसा आयोजन है, जिसमें जिला न्यायपालिका के प्रत्येक जज या कर्मचारी को भाग लेना होता है। जब मेरा तीन साल पहले यहां तबादला हुआ तो मैंने कुछ जिलों का दौरा किया और पाया कि जिला जज मौजूद हैं, कुछ जज मौजूद हैं और अन्य सदस्य भी। हालांकि जजों की संख्या 50-60 थी, लेकिन मुश्किल से 6-7 जज ही मौजूद थे। मैंने प्रभारी जिला जज से कहा कि इस आयोजन में सभी जज और कर्मचारियों की भागीदारी होनी चाहिए। इससे परिणाम बेहतर होंगे। सौभाग्य से, सभी जिला जजों ने इस विचार को अपनाया और उसके बाद प्रत्येक लोक अदालत में संबंधित जिले के सभी न्यायाधीशों ने भाग लिया।"

अंत में चीफ जस्टिस ने पूर्व सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता में आयोजित पिछली राष्ट्रीय लोक अदालत बैठकों पर विचार किया। उन्होंने याद दिलाया कि हालांकि राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल वर्णमाला क्रम में सूची के अंत में था, लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस ने राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन में राज्य के पदाधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों को मान्यता देने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य के साथ बैठक की शुरुआत की और इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

चीफ जस्टिस ने कहा,

"पहली राष्ट्रीय लोक अदालत के बाद हमारा प्रदर्शन बेहतर हुआ और प्रयासों को पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने बैठक में लोक अदालतों में पश्चिम बंगाल के प्रयासों को मान्यता दी। यह सिर्फ हितधारकों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण है। एक समय था, जब आम लोगों को नहीं पता था कि यह सिस्टम क्या है। हमने कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्णयों से उत्पन्न सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों की पहचान की है और यदि प्रशासन से जुड़े मामले हैं, तो लॉ सेक्रेटरी इस पर विचार करेंगे कि क्या लोक अदालत द्वारा कोई मामला सुलझाया जा सकता है।"

विवाद समाधान में लोक अदालतों के सिस्टम को अपनाने के लिए अधिवक्ताओं से अपील करते हुए चीफ जस्टिस ने वकीलों से कहा कि वे लोक अदालतों के माध्यम से विवाद निपटान को प्रोत्साहित करें।

चीफ जस्टिस ने कहा,

"लोक अदालत में मामलों का निपटारा करने से आपको नुकसान नहीं होगा बल्कि लाभ होगा, आपके संतुष्ट मुवक्किल और अधिक मुवक्किल लाएंगे और वकीलों की प्रैक्सिट में सुधार होगा।"

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