बॉम्बे हाईकोर्ट में वादी ने मुकदमा हारने के बाद आत्महत्या का प्रयास किया, वकील ने बचाया

Update: 2022-06-17 14:21 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) के तहत अपनी मां के खिलाफ मुकदमा हारने के तुरंत बाद एक 55 वर्षीय व्यक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक कोर्ट रूम में आत्महत्या का प्रयास किया। एडवोकेट महेश रावू ने ने इस व्यक्ति को बचाया।

दरअसल 55 वर्षीय इस वादी को अदालत ने अपनी मां के खिलाफ मुकदमे में घर खाली करने का निर्देश दिया था, जिसके तुरंत बाद इसने कोर्ट रूम में अपनी कलाई काटने का प्रयास किया। यह वादी पूर्व सैनिक है, जिसे मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया।

जस्टिस पीडी नाइक द्वारा आदेश सुनाए जाने के तुरंत बाद अपने वकील के साथ कोर्ट रूम से बाहरआ के बजाय उस व्यक्ति ने एक पेपर कटर लिया और अपनी कलाई को काटने का प्रयास किया।

एडवोकेट महेश रावू ने कहा, "मैं उसके ठीक पीछे खड़ा था और मैंने देखा कि वह कुछ कर रहा है। जैसे ही मैंने ब्लेड देखा, मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया। बाद में पुलिस ने मुझे बताया कि उसे चोटें आई हैं।" .

वादी ने 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण का एक आदेश रद्द करने की मांग की। ट्रिब्यूनल ने उन्हें घर से निकालने का निर्देश दिया था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने वादी को इस मामले में कठोर कार्रवाई के खिलाफ अंतरिम राहत दी। रावू के मुताबिक हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा।

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