अदालत के सवालों पर वकील को परेशान करने वाले वादियों के खिलाफ वकील कार्रवाई कर सकते हैं: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2023-08-01 06:56 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि यदि कोई वादी अदालत द्वारा उठाए गए कुछ प्रश्नों पर वकील को परेशान करता है तो वकील ऐसे पक्षकार के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है।

चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी औदिकेसवालु की खंडपीठ ने यह टिप्पणी लास्ट ईयर के लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। उक्त याचिका में माता-पिता और सीनियर सिटीजन का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 19(1) के अनुसार तमिलनाडु के हर जिले में सरकार द्वारा संचालित वृद्धाश्रम स्थापित करने की मांग की गई।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता पक्षकार ने कहा कि राज्य में एक भी सरकारी संचालित वृद्धाश्रम नहीं है। इस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि यदि याचिकाकर्ता का बयान गलत पाया गया तो कोर्ट उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाएगा।

सोमवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ को ज्ञापन सौंपकर अदालत को सूचित किया कि पिछली सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता उसे परेशान कर रहा है। वकील ने केस से हटने की मांग की।

अदालत ने वकील को मामले से हटने की अनुमति देते हुए कहा,

"याचिकाकर्ता भी यहां मौजूद है और अन्य वकील को नियुक्त करने के लिए समय मांग रहा है। हालांकि हम उसे समय दे रहे हैं, लेकिन इस न्यायालय को यह दोहराना जरूरी लगता है कि हमारे द्वारा पूछे गए कोई भी प्रश्न वादियों के लाभ के लिए हैं और प्रश्न हमारे आदेश का संकेत नहीं देते हैं। साथ ही कोई भी वकील, जिसे अदालत के सवालों के बाद या अन्यथा किसी वादी द्वारा परेशान किया जाता है, वह वादी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का हकदार है।''

केस टाइटल: पास्कल ससिल आर बनाम तमिलनाडु राज्य

केस नंबर: WP 21588/2023

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