यूपीकेएसजेडपी अधिनियम | पंचायत कार्यालय में इस्तीफा नोटिस मिलने पर क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्य का पद खाली माना जाएगा : इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यू.पी. क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत अधिनियम, 1961, के तहत क्षेत्र पंचायत के एक निर्वाचित सदस्य के बारे में यह माना जाएगा कि उन्होंने क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में उनके इस्तीफे की सूचना प्राप्त होने की तारीख से अपना पद खाली कर दिया है।
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने आगे कहा कि एक सदस्य का इस्तीफा नोटिस क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में प्राप्त होते ही उसमें रिक्ति प्रभावी हो जाती है, है।
बुलंदशहर के गुलावथी की क्षेत्र पंचायत प्रमुख नेहा यादव ने दो निर्वाचित सदस्यों (प्रतिवादी संख्या 4 और 5) के इस्तीफे के कारण सदस्यों की दो रिक्तियां दर्शाने वाली सहायक विकास अधिकारी के कार्यालय से जारी एक अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट का रुख किया था।
उसने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि प्रतिवादी संख्या चार और पांच के इस्तीफा देने मात्र से रिक्ति नहीं होगी जब तक कि क्षेत्र पंचायत की बैठक में इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी जाती है।
आगे यह दलील दी गयी थी कि डी.पी.आर.ओ. ने जिला पंचायत के अतिरिक्त मुख्य अधिकारी को सदस्यों के इस्तीफे स्वीकार करने के उद्देश्य से जिला पंचायत सदस्यों की एक बैठक आयोजित करने की आवश्यकता के मद्देनजर पत्र-व्यवहार किया था और इस प्रकार, यह दलील दी गयी थी कि चूंकि इस्तीफे अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं, इसलिए रिक्ति की अधिसूचना अवैध है।
यह विचार करने के लिए कि किसी क्षेत्र पंचायत के निर्वाचित सदस्य का त्यागपत्र कब प्रभावी होगा, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्षेत्र समितियों और जिला परिषद अधिनियम, 1961 [यू.पी. 1961 का अधिनियम संख्या 33] की धारा 11 पर विचार किया। इस अधिनियम को उत्तर प्रदेश पंचायत कानून (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा संशोधित [यू.पी. 2007 का अधिनियम संख्या 44] किया गया है। संबंधित धारा में प्रावधान है :
"11. प्रमुख या सदस्य का त्यागपत्र -
(1) क्षेत्र पंचायत का कोई प्रमुख या कोई निर्वाचित सदस्य अपने हाथ से लिखकर इस्तीफा दे सकता है। प्रमुख का इस्तीफा संबंधित जिला पंचायत के अध्यक्ष को और अन्य सदस्यों के लिए यह क्षेत्र पंचायत के प्रमुख को दिया जाना चाहिए।
(2) प्रमुख का त्यागपत्र उस तारीख से प्रभावी होगा, जिस तारीख को क्षेत्र समिति के कार्यालय में अध्यक्ष की स्वीकृति प्राप्त होती है और सदस्य का त्यागपत्र उस तारीख से प्रभावी होगा जिस दिन क्षेत्र समिति के कार्यालय में इस्तीफा नोटिस प्राप्त हुआ हो। ऐसे प्रमुख या सदस्य का पद खाली माना जाएगा।"
इसे ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने कहा कि 1961 के अधिनियम की धारा 11 (2) के अनुसार, एक सदस्य का पद उस तारीख से खाली माना जाएगा, जिस दिन क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में उसके इस्तीफे का नोटिस प्राप्त होता है।
कोर्ट ने कहा,
"रिक्ति उस तिथि से प्रभावी हो जाती है, जो क़ानून में निहित 'डीमिंग प्रोवजिन' के तहत परिकल्पित होती है। इस प्रकार यह क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में नोटिस प्राप्त होने की तारीख से कानून के संचालन की दृष्टि से प्रभावी हो जाती है। प्रमुख के मामले के विपरीत, किसी सदस्य की स्थिति में इस्तीफा प्रभावी होने के लिए किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।"
नतीजतन यह देखते हुए कि क्षेत्र पंचायत के कार्यालय में क्रमशः पांच अप्रैल 2022 और 26 अप्रैल 2022 को इस्तीफे के नोटिस प्राप्त हुए थे और इस प्रकार, आक्षेपित अधिसूचना में कोई अवैधता नहीं थी, कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।
केस टाइटल : नेहा यादव बनाम उप्र सरकार एवं चार अन्य [रिट-सिविल नं. 20091/2022]
साइटेशन : 2022 लाइवलॉ (इलाहाबाद) 368
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