खेड़ा में मुस्लिम पुरुषों की पिटाई के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने चार पुलिसकर्मियों को अवमानना का दोषी पाया, 14 दिन की जेल की सजा का आदेश दिया
गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को गुजरात पुलिस के 4 अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना (सुप्रीम कोर्ट के डीके बसु दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए) का दोषी पाया और उन्हें पिछले साल अक्टूबर में खेड़ा जिले में मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने के लिए 14 दिनों के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस गीता गोपी की पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि न्यायालय इस बात से खुश नहीं है कि यह दिन आ गया है जब वह ऐसे आदेश पारित कर रही है जिसमें अधिकारियों को साधारण कारावास से गुजरने के लिए कहा जा रहा है। गौरतलब है कि 16 अक्टूबर को पीड़ितों ने चारों पुलिसकर्मियों से आर्थिक मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था।
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह डीके बसु मामले के दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के कारण पिछले साल अक्टूबर में खेड़ा जिले में मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोपी चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए थे।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, यूओआई से कहा उल्लेखनीय है कि अवमानना के आरोप तय करने का आदेश पीठ द्वारा अगस्त 2023 में दायर नडियाद में सीजेएम कोर्ट की एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पारित किया गया था , जिसमें स्थानीय अपराध शाखा इंस्पेक्टर (एवी परमार), सब-इंस्पेक्टर (डीबी कुमावत), हेड कांस्टेबल (कनकसिंह लक्ष्मण सिंह) और एक कांस्टेबल (राजू रमेशभाई डाभी) सहित घटना में आरोपी 14 पुलिसकर्मियों में से 4 की पहचान की गई थी।
इससे पहले इस साल जुलाई में एचसी ने संबंधित सीजेएम को पेन ड्राइव और घटना से संबंधित वीडियो सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का विश्लेषण करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश एक प्रभावित परिवार के 5 सदस्यों द्वारा आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर दिया गया था।
कथित तौर पर युवकों के एक समूह को एक खंभे के पास लाया गया, जहां उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया गया। पुलिस की यह कार्रवाई कथित तौर पर खेड़ा जिले के मटर तालुका स्थित उंधेला गांव में सांप्रदायिक झड़प के बाद हुई थी। आरोप है कि नवरात्रि समारोह के दौरान कुछ कथित घुसपैठियों ने भीड़ पर पथराव किया. घटना में कम से कम 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या कोई कानून इसकी इजाजत देता है कि 'किसी आरोपी को खंभे से बांधकर सबके सामने पीटा जा सकता है?' इस साल जनवरी में गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसने कोड़े मारने के मामले में एक पुलिस निरीक्षक सहित 5 पुलिसकर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया है।