केरल हाईकोर्ट ने परीक्षा में बैठने के लिए एसएफआई नेता अंतरिम जमानत दी

Update: 2022-07-22 07:18 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राज्य सचिव को अंतरिम जमानत दे दी। एसएफआई के उक्त राज्य सचिव को जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने के बाद दूसरी बार हिरासत में लिया गया था।

जस्टिस विजू अब्राहम ने अर्शो पीएम को तीन अगस्त तक अंतरिम जमानत दी, जिससे उसे एमजी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल गई। यह 23 जुलाई से 3 अगस्त तक होंगी।

कोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए यह शर्त लगाई कि वह केवल परीक्षा में बैठने के लिए ही एर्नाकुलम जिले में जाएगा।

आरोपी की ओर से पेश वकील एडवोकेट पीके वर्गीस ने अदालत के सामने परीक्षा के लिए हॉल टिकट और समय सारिणी पेश की। न्यायाधीश ने उन्हें प्रामाणिक पाया।

लोक अभियोजक द्वारा जमानत देने का कड़ा विरोध किया गया। उन्होंने कहा कि उन अभियुक्तों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जानी चाहिए जिन्होंने पहले जमानत देते समय लगाई गई शर्तों का उल्लंघन किया है।

27 वर्षीय एसएफआई नेता 2018 में गैर-इरादतन हत्या करने के इरादे से डिफैक्टो शिकायतकर्ता के आवास में घुसने वाले लोगों के समूह का दूसरा आरोपी है। इन लोगों ने शिकायतकर्ता पर घातक हथियारों से हमला किया, जिससे उसे चोटें आईं।

अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि याचिकाकर्ता चार अन्य लोगों के साथ डिफैक्टो शिकायतकर्ता की हत्या करने के इरादे से रची गई साजिश के तहत उसके किराए के कमरे में चाकू और लोहे के पाइप जैसे खतरनाक हथियारों के साथ घुसा। उन्होंने इन हथियारों से शिकायतकर्ता पर शारीरिक हमला किया, जिससे उसके जीवन के लिए आसन्न खतरा पैदा हो गया।

उक्त आरोपियों को 2019 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 324, 455, 308, 506 और 427 के तहत गिरफ्तार किया गया था। जांच जिला अपराध शाखा को सौंपी गई, जिसने आईपीसी की धारा 458 के तहत एक और आरोप लगाया।

हालांकि, आरोपियों दो महीने बाद शर्तों के साथ जमानत पर रिहा कर दिया गया, जिसमें वर्तमान आरोपी भी शामिल है। जमानत देते हुए उनसे कहा गया कि वे किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं होंगे और इस तरह की कोई भी संलिप्तता जमानत रद्द करने का आधार होगी।

फिर भी जमानत पर बाहर रहने के दौरान 12 अपराधों में कथित रूप से शामिल होने के बाद वर्तमान आरोपी को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे उसे दी गई जमानत रद्द कर दी गई। जमानत रद्द करने को याचिकाकर्ता ने कई प्लेटफॉर्म पर चुनौती दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

अंत में उसने हाल ही में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर वैधानिक जमानत की मांग करते हुए कहा कि वह 79 दिनों से हिरासत में हैं और आरोप पत्र आज तक दायर नहीं किया गया है। यह तर्क दिया गया कि 60 दिन पूरे होने पर उसे सीआरपीसी की धारा 167 (2) (ए) (ii) के तहत वैधानिक जमानत का अधिकार है।

हालांकि, एकल पीठ ने पिछले हफ्ते उसे वैधानिक जमानत देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने यह देखते हुए जमानत देने से इनकार किया था कि उसकी तुलना किसी ऐसे व्यक्ति से नहीं की जा सकती जो उसके खिलाफ कोई आरोप पत्र दायर किए बिना हिरासत में रहता है।

मामले पर अगली सुनवाई के लिए 4 अगस्त को होगी।

केस टाइटल: अर्शो पीएम बनाम केरल राज्य

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