जूनियर वकीलों की पीड़ा को अनदेखा नहीं कर सकते: केरल हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को अनिवार्य स्टाइपेंड लागू करने में देरी के लिए फटकार लगाई
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य बार काउंसिल को 2018 में जारी सरकार के आदेश को लागू नहीं करने पर फटकार लगाई। इस आदेश में जूनियर वकीलों को प्रत्येक को 5,000 रुपये का वजीफा देने का निर्देश दिया गया है।
न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा:
"कोर्ट यह दिखावा नहीं कर सकता कि उसे जूनियर वकीलों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही है।"
बार काउंसिल ने स्पष्ट किया कि सरकारी आदेश को लागू करने में देरी चल रही महामारी के कारण हुई।
हालांकि, बेंच ने कहा कि बार काउंसिल का स्पष्टीकरण असंतोषजनक है और यह जूनियर वकील हैं जो COVID-19 संकट से पीड़ित है।
कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल की बैठक और ऑनलाइन निर्णय लेने में कोई बाधा नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि जूनियर वकीलों की उपेक्षा करने वाले बार काउंसिल के सदस्य पद पर बने रहने के हकदार नहीं हैं।
यह अवलोकन अधिवक्ता धीरज रवि द्वारा दायर एक याचिका में आया।
उक्त याचिका में COVID-19 संकट से पीड़ित वकीलों के लिए सहायता की मांग की गई थी।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनु रामचंद्रन पेश हुए।
कोर्ट ने इससे पहले 2018 के सरकारी आदेश के कार्यान्वयन में गंभीर देरी के लिए स्टेट बार काउंसिल को फटकार लगाई थी।
इसके तहत जूनियर वकीलों को 5000 / - रुपये का मासिक वजीफा देने की मंजूरी दी गई थी।
केरल सरकार ने नौ मार्च, 2018 के आदेश के तहत केरल एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1980 के तहत बनाए गए कल्याण कोष से देय एक निर्दिष्ट श्रेणी के जूनियर वकीलों के लिए 5000 / - रुपये का मासिक वजीफा मंजूर किया था।
25 अक्टूबर को इस मामले को फिर से उठाया जाएगा।
केस का शीर्षक: एडवोकेट धीरज रवि और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य