कर्नाटक हाईकोर्ट ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की अवैध रूप से स्थापित प्रतिमा को स्थानांतरित नहीं करने के लिए युवा संघ के अध्यक्ष को तलब किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को डॉ. बीआर अंबेडकर यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष रेवन्ना सिद्दप्पा को अदालत के आदेशों की अवहेलना करने और डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा को स्थानांतरित नहीं करने के लिए तलब किया। दावणगेरे जिले के हड़प्पनहल्ली तालुक में सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से स्थापित इस प्रतिमा को चार महीने के अंदर वैकल्पिक भूमि पर स्थानांतरित करना था।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने कहा कि,
"इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी नंबर दस द्वारा दिए गए उपक्रम की अवज्ञा की गई है, हम इसके लिए प्रतिवादी नंबर दस को उसके अध्यक्ष रेवन्ना सिद्दप्पा के माध्यम से तलब करते हैं। उसने ही हलफनामा दायर किया था। सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा न्यायालय के आदेशों की अवज्ञा करने पर उचित कार्यवाही की जा सके।"
अदालत ने राज्य सरकार के वकील द्वारा दिए गए बयान को भी दर्ज किया। इसमें कहा गया कि प्रतिवादी नंबर दस प्रतिमा को हटाने के संबंध में हर तरह का हंगामा कर रहा है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को युवा संघ द्वारा दावणगेरे जिले के हड़प्पानहल्ली तालुक में सार्वजनिक भूमि पर बनाई गई डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा को चार महीने के भीतर वैकल्पिक भूमि पर स्थानांतरित करने के लिए दिए गए वचन को स्वीकार कर लिया।
अदालत ने 13 अगस्त के आदेश से डॉ. बी आर अंबेडकर यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष रेवन्ना सिद्दप्पा द्वारा दिए गए वचन को स्वीकार कर लिया था।
कोर्ट ने कहा,
"हमें यह नोट करना चाहिए कि डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम पर प्रतिवादी नंबर दस द्वारा अवैधता की गई है। डॉ. अम्बेडकर भारत के संविधान जनक और महान लेखक थे। उनका कानून के शासन में विश्वास था।"
कोर्ट ने आगे कहा,
"प्रतिवादी नंबर दस ने उनके नाम पर अवैध कब्जा करके इस महान शख्सियत के प्रति अनादर दिखाया है। इसके अलावा, प्रतिवादी नंबर दस ने सार्वजनिक संपत्ति पर इस महान शख्सियत की अवैध रूप से एक मूर्ति लगाई है।"
पीठ ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा के समक्ष दिए गए डॉ अंबेडकर के ऐतिहासिक भाषण का भी हवाला दिया।
केस पृष्ठभूमि:
नवंबर 2019 में युवा संघ ने बिना आवश्यक अनुमति के एक बस स्टैंड से सटी सरकारी जमीन पर डॉ. अम्बेडकर की मूर्ति लगाई। इस पर कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताई। फिर एक शिकायत दायर की गई। इसके आधार पर पांच मार्च, 2020 को ग्राम पंचायत द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में क़ानून के मुद्दे पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि प्रतिवादी नंबर नौ (पंचायत विकास अधिकारी) को हिरेमेगालागेरे ग्राम पंचायत, दवेनगेरे) क़ानून के स्थानांतरण के बारे में एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। पंचायत विकास अधिकारी ने 29 फरवरी, 2020 के अपने आदेश द्वारा प्रतिमा को हटाने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता नीलाप्पा ओ व अन्य ने पंचायत विकास अधिकारी के आदेश पर भरोसा जताते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जब राज्य सरकार ने प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए भूमि आवंटित करने की अनिच्छा दिखाई तो 21 जुलाई के आदेश के तहत एसोसिएशन को यह बताने के लिए समय दिया गया कि क्या वे प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए वचन देने को तैयार हैं। नौ अगस्त, 2021 को एसोसिएशन के अधिकृत प्रतिनिधि ने हलफनामा दायर कर शपथ पत्र की तिथि से चार माह के भीतर प्रतिमा को वैकल्पिक भूमि पर स्थानांतरित करने का वचन दिया।
अदालत ने उपक्रम को स्वीकार किया और कहा,
"प्रतिवादी नंबर दस द्वारा दिए गए उपक्रम के मद्देनजर, परमादेश की रिट जारी करना आवश्यक नहीं हो सकता है।"
रिकॉर्ड में रखे गए हलफनामे और दस्तावेजों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा,
"राज्य सरकार और शांति समिति के अधिकारियों ने प्रतिवादी नंबर दस के सक्रिय सहयोग से सुनिश्चित किया कि गांव में शांति बनी रहे। कम से कम इस हद तक तो कहा जा सकता है कि प्रतिवादी नंबर दस और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा प्रचारित सभी संबंधित सम्मानित मूल्यों का सम्मान किया जा सके।"
कोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया। हालांकि अनुपालन रिपोर्ट देने के मामले में 17 दिसंबर को सुनवाई होगी।
केस शीर्षक: नीलाप्पा ओ बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: डब्ल्यूपी 6410/2020