कर्नाटक हाईकोर्ट ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के बैंक खातों को डी-फ्रीज़ करने का मार्ग प्रशस्त किया, ईडी का 2018 का नोटिस केवल 60 दिनों के लिए वैध था

Update: 2023-03-22 05:56 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 2018 में बैंकों को जारी संचार को रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें गैर सरकारी संगठन एम/एस एमनेस्टी इंटरनेशनल (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के अकाउंट फ्रीज करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था।

जस्टिस के एस हेमलेखा की एकल पीठ ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 132 के मद्देनजर ईडी का नोटिस केवल 60 दिनों के लिए वैध था।

यह कहा गया,

"एनेक्सचर-एफ1 और एफ2 पर दिनांक 25/10/2018 के विवादित नोटिसों ने साठ दिनों की अवधि समाप्त होने के कारण अपनी प्रभावशीलता खो दी।"

एमनेस्टी ने दावा किया कि ईडी ने बिना किसी पूर्व सूचना के 25 अक्टूबर, 2018 को उसके परिसरों में तलाशी और जब्ती की। उक्त तलाशी के दौरान, इसके वित्तीय रिकॉर्ड और विभिन्न समझौतों से संबंधित कई दस्तावेजों की जांच की गई और इसके कर्मचारियों से सेल फोन जब्त किए गए।

इसके बाद एजेंसी ने अपने बैंकों एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा को बिना किसी सूचना के फिर से अपने अकाउंट के संचालन को रोकने के लिए निर्देश जारी किया।

एमनेस्टी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने फेमा अधिनियम की धारा 37 और आयकर अधिनियम की धारा 132(8ए) सपठित धारा 132(3) का हवाला देते हुए कहा कि ईडी का फ्रीजिंग नोटिस साठ दिन से अधिक अवधि के लिए लागू नहीं हो सकता।

ग्रीनपीस इंडिया सोसाइटी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य में अदालत के समन्वित खंडपीठ के फैसले पर भरोसा किया गया, जिसकी पुष्टि खंडपीठ ने की।

केंद्र सरकार के सीनियर सरकारी वकील एच. जयकारा शेट्टी ने प्रस्तुत किया कि ग्रीनपीस का निर्णय केवल वर्तमान याचिका पर लागू होगा और इसे सभी मामलों में लागू करने के लिए उदाहरण नहीं हो सकता।

इसके बाद पीठ ने कहा,

"ग्रीनपीस इंडिया सोसाइटी स्टेटेड सुप्रा के आदेश के आलोक में रिट अपील नंबर 1090/2019 में पुष्टि की गई है, इसमें शामिल प्रश्न अब रेस इंटेग्रा नहीं हैं।"

यह आयोजित किया गया,

"अधिनियम की धारा 132 (8ए) के प्रावधानों के अवलोकन पर यह स्पष्ट है कि आयकर अधिनियम की धारा 132 की उप-धारा (3) के तहत आदेश आदेश की तारीख से साठ दिनों के बाद लागू नहीं होगा। अधिनियम की धारा 132 (8ए) के प्रावधानों के आलोक में एनेक्सचर-एफ1 और एफ2 पर दिनांक 25/10/2018 के विवादित नोटिसों ने साठ दिनों की अवधि समाप्त होने के कारण समय के साथ अपनी प्रभावशीलता खो दी है।

तदनुसार इसने याचिका को अनुमति दी और ईडी के नोटिसों को रद्द कर दिया।

इसमें कहा गया,

"कानून के अनुसार उचित प्राधिकारी के समक्ष आग्रह करने के लिए सभी विवादों को खुला छोड़ दिया गया है।"

ईडी ने 2020 में एनजीओ द्वारा खोले गए बैंक अकाउंट के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर्स जारी किए थे।

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 16 दिसंबर, 2020 को एमनेस्टी इंडिया को खर्चों को पूरा करने के लिए 60 लाख रूपये निकालने की अनुमति देकर आंशिक राहत दी। प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर्स के खिलाफ उठाई गई चुनौती के मूल बिंदुओं पर जाने के लिए एकल पीठ के इनकार से नाराज एमनेस्टी ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।

हालांकि, 8 अप्रैल, 2021 को खंडपीठ ने यह कहते हुए अपील का निस्तारण कर दिया कि प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर्स के खिलाफ चुनौती के आधार पीएमएलए न्यायिक प्राधिकरण के समक्ष उठाए जाने हैं।

इसके बाद एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 19-10-2022 के अपने आदेश में उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया, लेकिन प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर्स को चुनौती देने के लिए एमनेस्टी का अधिकार सुरक्षित रखा।

एमनेस्टी इंडिया ने अपने बैंक अकाउंट की कुर्की के बाद भारत में अपना परिचालन बंद कर दिया।

केस टाइटल: एम/एस एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

केस नंबर: WP 56621/2018

साइटेशन: लाइव लॉ (कर) 114/2023

आदेश की तिथि: 24-02-2023

उपस्थिति: याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट जगदीश बी एन की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार, R2 के लिए सीनियर सीजीएस एच. जयकारा शेट्टी।

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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