कर्नाटक हाईकोर्ट ने DIMHANS को उच्च मनोचिकित्सा सेंटर में तुरंत अपग्रेड करने का आदेश दिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को एक मार्च, 2022 तक धारवाड़ मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान ( Dharwad Institute Of Mental Health And Neurosciences) (DIMHANS) को एक उच्च मनोरोग सेंटर में अपग्रेड करने और अस्पताल में एमआरआई मशीन को स्थापित करने और चालू करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
"हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इस अस्पताल को जल्द से जल्द एक उच्च मनोरोग सेंटर के रूप में अपग्रेड किया जाए जैसा कि सरकार ने खुद अपग्रेड करने की घोषणा की है। धन की कमी या किसी अन्य कारण से देरी नहीं होनी चाहिए। इस संबंध में सभी कदम उठाए जाएं ताकि इसे एक मार्च, 2022 से चालू किया जा सके।"
अतिरिक्त महाधिवक्ता ध्यान चिनप्पा ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल सुपरिटेंडेंट की नियुक्ति कर दी गई है।
इसके अलावा उन्होंने एक हलफनामा दायर कर कहा कि अस्पताल में एमआरआई मशीन लगाने की प्रक्रिया एक मार्च, 2022 तक पूरी कर ली जाएगी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा,
"हम परियोजना के कार्यान्वयन में देरी के लिए दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हैं, विशेष रूप से एमआरआई मशीन की स्थापना के संबंध में। हालांकि, हमें यह समझ आता है कि तीन महीने की अनिवार्य अवधि की आवश्यकता है, क्योंकि इसे (मशीन) को विदेश से आयात किया जाना है। इसके लिए एक दिसंबर तक आदेश दिया जाएगा। मशीन को एक मार्च, 2022 तक स्थापित और चालू कर दिया जाए। जैसा कि प्रमुख सचिव, मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा किया गया है।"
कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वर्ष 1996 में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया गया।
अदालत ने पांच मार्च, 2020 के अपने आदेश में राज्य सरकार को DIMHANS के उपयोग के लिए आवश्यक विशिष्टताओं की एमआईआर मशीन की खरीद के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया था। यह भी देखा गया कि DIMHANS जैसे महत्वपूर्ण संस्थान में मेडिकल सुपरिटेंडेंट का पद खाली नहीं रखा जा सकता।
पांच अक्टूबर, 2021 को अपने आदेश में अदालत ने यह नोट करने के बाद कि पिछले आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, कहा,
"यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक कुछ भी नहीं किया गया। कोई अनुपालन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई, कोई एमआरआई मशीन नहीं लगाई गई, कोई मेडिकल सुपरिटेंडेंट नियुक्त नहीं किया गया। विचाराधीन अस्पताल एक राज्य संचालित अस्पताल है और यह गरीब लोगों की जरूरत को पूरा करता है जिनके पास प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए, अब इस अदालत के पास इस मामले में प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग की व्यक्तिगत उपस्थिति के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।"
केस शीर्षक: कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर: डब्ल्यूपी 18741/1996