हवाई और रेल यात्रा के लिए 'आरोग्य सेतु' को आवश्यक रूप से इंस्टॉल करने के ख़िलाफ़ याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को एक याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें हवाई और रेल यात्रा के लिए आरोग्य सेतु को इंस्टॉल करना आवश्यक करने के सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है।
यह याचिका सायबर सुरक्षा कार्यकर्ता अनिवर अरविंद ने दायर की है और कहा है कि एनआईसी के बनाए इस ऐप के प्रयोग को स्वैच्छिक बनाया जाना चाहिए न कि आवश्यक। यह भी मांग की गई है कि किसी भी सरकारी सेवा या सुविधा प्राप्त करने के लिए भी इस ऐप को आवश्यक नहीं बनाया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय ओका और जस्टिस एस विश्वजीत शेट्टी की पीठ ने इस याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई की तिथि 12 जून निर्धारित की है और इस बीच प्रतिवादियों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की पैरवी वरिष्ठ वक़ील कॉलिन गॉन्साल्वेज़ और सिद्धार्थ बाबूराव ने की।
याचिका में कहा गया है कि रेलवे और नागरिक विमानन मंत्रालय एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने निर्देश जारी कर इस ऐप के उपयोग को आवश्यक कर दिया है। जबकि यह उन लोगों के साथ विभेद करता है जिनके पास स्मार्टफ़ोन नहीं हैं और इसके प्रयोग को आवश्यक बना देने से निजता का उल्लंघन होगा क्योंकि यह उस व्यक्ति के लोकेशन का प्रयोग करता है।
याचिका के अनुसार दुनिया के कई देशों ने कांटैक्ट का पता लगाने के लिए ऐप का प्रयोग किया है ताकि जो लोग COVID-19 से ग्रस्त हैं उनका पता लगाया जा सके। लेकिन वहां इसका प्रयोग स्वैच्छिक है और दुनिया भर में इस तरह के अधिकांश ऐप में ब्लूटूथ का प्रयोग होता है न कि मोबाइल रखने वाले के लोकेशन का।
इसकी तुलना में, नैशनल इन्फ़र्मैटिक्स सेंटर ने 2 अप्रैल को जो ऐप शुरू किया वह जीपीएस का प्रयोग करेगा ताकि प्रयोगकर्ता के लोकेशन का पता लागाया जा सके।
याचिका के अनुसार यह ऐप ज़रूरत से ज़्यादा डाटा संग्रहित कर रहा है और यह पुत्तस्वामी फ़ैसले में 'न्यूनतम डाटा और सीमित उद्देश्य' के सिद्धांत के ख़िलाफ़ है।