कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को उन सभी अंतरिम आदेशों के संचालन की अवधि को 7 अगस्त तक बढ़ा दिया जो उसके द्वारा या उसके अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों द्वारा पारित किए गए हैं और जिनकी अवधि 7 अगस्त तक एक माह में पूरी होने वाली है।
मुख्य न्यायाधीश अभय ओका के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा,
"हालांकि अदालत ने 1 जून से आंशिक कामकाज फिर से शुरू कर दिया, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए जहां राज्य में COVID 19 पॉज़िटिव मामलों की संख्या लगातार तेज़ गति से बढ़ रही है, हम निर्देश देते हैं कि अंतरिम आदेश, जिनका उल्लेख क्लाज़ 1 से 3 तक किया गया है, 7 अगस्त तक बढ़ाया जाएगा।"
संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत क्षेत्राधिकार की कवायद में, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुकदमों को देखने के लिए मुकदमेबाज अपनी अक्षमता के कारण पीड़ित न हों, निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं।
- कर्नाटक हाईकोर्ट सभी जिला न्यायालयों, सिविल न्यायालयों, परिवार न्यायालयों, श्रम न्यायालयों, औद्योगिक न्यायाधिकरणों और अन्य सभी न्यायाधिकरणों द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेश, जिनके ऊपर इस न्यायालय के पास अधीक्षण की शक्ति है, 7 अगस्त तक काम करना जारी रखेंगे। हालांकि, वे अंतरिम आदेश जो एक सीमित अवधि के नहीं हैं और जब तक आगे के आदेश अप्रभावित रहेंगे तब तक काम करना होगा।
- यदि राज्य में आपराधिक न्यायालयों ने एक सीमित अवधि के लिए जमानत आदेश या अग्रिम जमानत का आदेश दिया है, जिनके एक महीने में समाप्त होने की संभावना है, ऐसे आदेश 7 अगस्त तक विस्तारित होंगे।
- यदि निष्कासन, फैलाव या विध्वंस के किसी भी आदेश को हाईकोर्ट या सिविल न्यायालयों द्वारा पहले ही पारित कर दिया है, तो ऐसा आदेश 7 अगस्त तक लागू रहेगा।
न्यायालय ने राज्य सरकार, नगरपालिका अधिकारियों और राज्य सरकार की एजेंसियों और उपकरणों का भी अनुरोध किया है कि वे लॉक डाउन की स्थिति के कारण, विध्वंस और बेदखली की कार्रवाई करने की गति धीमी रखें ।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि नागरिकों के लिए अपनी शिकायतों के निवारण के लिए न्यायालयों के पास पहुंचना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा, हमें पूरी उम्मीद है कि राज्य सरकार, नगर प्राधिकरण और राज्य सरकार की एजेंसियां और उपकरण विध्वंस की कार्रवाई और व्यक्तियों का निष्कासन करने में धीमी होंगी।
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