अपने बैंक खातों को ईडी द्वारा फ्रीज करने के खिलाफ एमनेस्टी इंटरनेशनल की याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा

Update: 2020-12-10 04:45 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारतीय कार्यालयों (मेसर्स एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट ) द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बैंक खातों को फ्रीज करने के खिलाफ दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति पीएस दिनेश कुमार ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को यह जवाब देने के लिए निर्देश दिया था कि क्या वह याचिकाकर्ता को पांच बैंक खातों से प्रति माह 40 लाख रुपये की वैधानिक बकाया राशि जैसे वेतन, कर और भुगतान आदि की अनुमति देने के लिए तैयार है या नहीं।

बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को सूचित किया कि,

"कल अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्तुत किया कि विभाग अदालत के सुझाव पर विचार नहीं कर सकता।"

जिसके बाद अदालत ने कहा,

"सुनवाई खत्म होने के बाद वह जल्द से जल्द आदेश पारत करेगी।"

पीठ ने मंगलवार को कहा था,

"अगर आप (ईडी) संतुलन बना सकते हैं, तो कहीं न कहीं निष्पादन हो सकता है, अगर आप सीमित समय लेते हैं और आप दोनों सहमत हैं तो हम इस याचिका का निपटान करेंगे।"

न्यायाधीश ने कहा,

"अपने ईडी अधिकारी, (एएसजी) को बुलाओ। अपना निर्देश ले लो। यदि आप एक संतुलन बना सकते हैं तो हम इस मामले का निपटानकर देंगे।"

अंतरिम राहत के लिए प्रार्थना करते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा,

"यह एक बहुत गंभीर मामला है। बार-बार हमें परेशान किया जा रहा है। हम केवल मानव अधिकारों के लिए काम करने में रुचि रखते हैं।" उन्होंने कहा था कि "जब्ती हुई है और कोई कारण दर्ज नहीं किया गया है और कोई आदेश पारित नहीं किया गया है और 30 दिनों के भीतर मामले को निर्धारित प्राधिकारी के समक्ष नहीं लिया जाता है। इसलिए, यह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 17 (1) (ए) के बाहर है।"

कुमार ने तर्क दिया है कि,

"दान मानव अधिकारों को फैलाने और मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए है। मैंने केवल यही गतिविधि की है, यह कुछ और नहीं है क्योंकि यह लाभ संगठन के लिए नहीं है। यहां तक ​​कि 26 नवंबर को दिए गए कुर्की आदेश में भी यह नहीं है कि किसी भी एक खाते को फेमा या पीएमएलए अधिनियम के तहत एक विशेष दान के साथ छेड़छाड़ की गई।"

उन्होंने कहा कि,

"PMLA अधिनियम एक आत्म निहित कोड है, जो आकस्मिक शक्तियों सहित सभी शक्तियों को नियंत्रित करता है। ये सभी शक्तियां 30 दिनों की अवधि के लिए संचालित होने वाली आत्म-सीमित शक्तियां हैं। क़ानून द्वारा अधिकतम समय 30 दिनों का है।"

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