कल्लाकुरिची छात्रा आत्महत्या मामला: मद्रास हाईकोर्ट ने माता-पिता के बिना शव का दोबारा पोस्टमॉर्टम की अनुमति दी
मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार को माता-पिता की उपस्थिति के बिना कल्लाकुरिची में कथित रूप से आत्महत्या करने वाली छात्रा के शव का फिर से पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति दी।
जस्टिस एन सतीश कुमार द्वारा यह आदेश राज्य के लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना द्वारा तत्काल उल्लेख किए जाने के बाद पारित किया गया।
लोक अभियोजक ने कोर्ट को बताया कि मृतक के माता-पिता के ठिकाने का पता नहीं लगाया जा सकता और अदालत के आदेश के अनुसार, गठित डॉक्टरों की टीम पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया के संचालन के लिए इंतजार कर रही है। हालांकि, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि माता-पिता में से कोई एक प्रक्रिया के लिए आता है तो वे पोस्टमॉर्टम के दौरान उपस्थित हो सकते हैं।
इससे पहले, अदालत ने अदालत द्वारा नियुक्त किए जाने वाले तीन डॉक्टरों और एक सेवानिवृत्त फोरेंसिक निदेशक के समूह द्वारा दोबारा पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति दी थी।
जस्टिस एम दुरईस्वामी और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने बाद छात्रा के पिता द्वारा दोबारा पोस्टमॉर्टम के दौरान अपनी पसंद के डॉक्टर को शामिल करने की मांग का उल्लेख ठुकरा दिया।
मृतक के पिता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उसी राहत की मांग करते हुए मौखिक याचिका दायर की, जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि हाईकोर्ट पहले से ही इस मामले पर सुनवाई कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिता की याचिका खारिज करने के बाद तमिलनाडु सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि माता-पिता पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं थे। अस्पताल के अधिकारियों ने माता-पिता के आवास पर नोटिस चिपकाकर उन्हें पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया के बारे में सूचित किया और अदालत के आदेश के अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
अधिकारियों द्वारा कथित दुर्व्यवहार को लेकर निजी स्कूल परिसर में लड़की की मौत हो गई थी। इसके बाद इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए।
इस प्रकार, रविवार को कल्लाकुरिची में हुई दंगों, आगजनी और इससे जुड़ी घटनाओं की जांच के लिए अदालत के निर्देश के अनुसार विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। एसआईटी का नेतृत्व टी. प्रवीण कुमार अभिनवपु आईपीएस, पुलिस उप महानिरीक्षक कर रहे हैं।
एसआईटी घटना के पीछे की पूरी साजिश का पता लगाने और उल्लंघन करने वालों और उन लोगों की पहचान करने का काम करेगी, जिन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए और दंगे को भड़काया। एसआईटी को उन यूट्यूबर्स की पहचान करने के लिए भी उचित कार्रवाई करनी है, जिन्होंने झूठी खबरें फैलाईं और यूट्यूब में समानांतर मीडिया ट्रायल किया।