भगदड़ मामले में पुलिस अधिकारी के निलंबन पर हाईकोर्ट ने किया राज्य सरकार से सवाल, पूछा- 'उनके निलंबन को उचित ठहराएं'
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार (03 जुलाई) को राज्य सरकार से कहा कि वह RCB टीम के IPL 2025 जीत समारोह से पहले चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ के बाद कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की अपनी कार्रवाई को उचित ठहराए।
जस्टिस एस जी पंडित और जस्टिस टी एम नदाफ की खंडपीठ IPS अधिकारी विकास कुमार विकास का निलंबन रद्द करने वाले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से कहा,
"आपको यह उचित ठहराना होगा कि क्या अधिकारियों को निलंबित रखना उचित था या क्या अधिकारियों को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करना पर्याप्त होता।"
एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने जवाब देते हुए कहा,
"मैं रिकॉर्ड से यह दिखा पाऊंगा कि निलंबन आदेश उचित था।"
उन्होंने अदालत से CAT के आदेश पर रोक लगाने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा,
"तब तक माननीय जज मामले की सुनवाई कर रहे हैं...वे कार्यभार संभालने के लिए वर्दी में चले गए हैं।"
इस समय IPS अधिकारी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ध्यान चिन्नप्पा ने कहा,
"मैं अवमानना याचिका दायर नहीं करने जा रहा हूं।"
इसके बाद अदालत ने प्रतिवादी के वकील से मौखिक रूप से कहा,
"निलंबन आदेश पारित हो चुका है, लेकिन उन्हें बहाली के लिए आदेश पारित करना है। जब मामले को अंतिम निपटान के लिए ले जाया जाता है तो जल्दबाजी न करें।"
चिन्नप्पा ने अदालत से कहा कि वे मामले में जल्दबाजी नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा,
"हां महोदय, हम कुछ नहीं करेंगे।"
अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की।
बता दें, भगदड़ के बाद राज्य सरकार ने कथित लापरवाही और भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता के लिए कर्नाटक पुलिस विभाग के चार अन्य अधिकारियों के साथ IPS अधिकारी को निलंबित कर दिया था। विकास एकमात्र अधिकारी हैं, जिन्होंने निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया।
CAT ने 1 जुलाई के अपने आदेश में विकास का निलंबन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि पुलिस की ओर से लापरवाही दिखाने वाला कोई ठोस सबूत नहीं है।
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा,
"प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि RCB लगभग तीन से पांच लाख लोगों की भीड़ के लिए जिम्मेदार है...पुलिस से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लगभग 12 घंटे के कम समय में पुलिस अधिनियम या अन्य नियमों आदि में आवश्यक सभी व्यवस्थाएं कर देगी। पुलिसकर्मी भी इंसान हैं। वे न तो "भगवान" हैं और न ही जादूगर और न ही उनके पास "अलाद्दीन के चिराग" जैसी जादुई शक्तियां हैं, जो केवल उंगली रगड़ने से किसी की इच्छा पूरी कर सकती हैं। उपरोक्त प्रकार की भीड़ को नियंत्रित करने तथा उचित व्यवस्था करने के लिए पुलिस को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।"
इस प्रकार, न्यायालय ने राज्य को आदेश दिया कि विकास को तत्काल बहाल किया जाए तथा निलंबन की अवधि को पूर्ण वेतन और भत्ते के साथ ड्यूटी पर माना जाए।
दिनांक 05.06.2025 के आदेश द्वारा निलंबित किए गए अन्य अधिकारियों में IPS अधिकारी बी. दयानंद (एडिशनल महानिदेशक एवं पुलिस आयुक्त, बेंगलुरु सिटी, बेंगलुरु), IPS अधिकारी शेखर एच. टेक्कन्नावर (पुलिस उप आयुक्त, सेंट्रल डिवीजन, बेंगलुरु सिटी), सी. बालकृष्ण (सहायक पुलिस आयुक्त, कब्बन पार्क, बेंगलुरु) तथा ए.के. गिरीश (पुलिस निरीक्षक, कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन, बेंगलुरु) को भी निलंबित किया गया था।
Case Title: State of Karnataka & ANR AND Vikash Kumar Vikash