बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को भीमा कोरेगांवएल्गार परिषद साजिश मामले में आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू को जमानत दी।
जस्टिस ए.एस. गडकरी और जस्टिस रंजीतसिंह राजा भोंसले की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। मामले में विस्तृत आदेश आना अभी बाकी है।
हनी बाबू को जुलाई 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने UAPA के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर माओवादी संगठनों से कथित संबंध और षड्यंत्र में संलिप्त होने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उनकी जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट और बाद में हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी। इसके बाद उन्होंने मई, 2024 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका वापस लेते हुए बदली परिस्थितियों का हवाला देकर हाई कोर्ट का रुख करने का निर्णय लिया था।
याचिका में बाबू ने दलील दी कि वह बिना किसी मुकदमे की सुनवाई शुरू हुए करीब पांच साल दो महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं और ट्रायल में लगातार देरी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इसी मामले में अन्य कई सह-आरोपियों को पहले ही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। इन्हीं बदली परिस्थितियों को आधार बनाकर उन्होंने एक बार फिर जमानत की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि हनी बाबू ने उतना लंबा कारावास नहीं झेला, जितना इस मामले के अन्य आरोपियों ने इसलिए केवल लंबे समय तक हिरासत के आधार पर उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि याचिका केवल लंबी कैद के मुद्दे पर सीमित है मामले के गुण-दोष पर सुनवाई नहीं हो रही है।
हनी बाबू पर आरोप है कि उनका रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट और सीपीआई (माओवादी) से गहरा संबंध रहा है। जांच एजेंसी ने दावा किया कि उनके पास से बरामद सीक्रेसी हैंडबुक नामक पुस्तक में कथित तौर पर ऐसे निर्देश थे, जिनमें किसी साथी की गिरफ्तारी पर उसे कानूनी सहायता प्रचार और विरोध-प्रदर्शन के जरिए समर्थन देने की बात कही गई। यह आरोप विशेष रूप से प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा की मदद से जुड़ा बताया गया है जो इस ही केस में आरोपी रहे हैं।
अब तक इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट रोना विल्सन, सुधीर धवाले और सुधा भारद्वाज को जमानत दे चुका है, जबकि सुप्रीम कोर्ट मेडिकल आधार पर पी. वरवरा राव और मेरिट के आधार पर शोमा सेन, वर्नन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा को राहत दे चुका है। इसी साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने हनी बाबू को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट या हाईकोर्ट का रुख करने की छूट दी थी, जिसके बाद उन्होंने दोबारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
गुरुवार के फैसले के साथ ही करीब पांच साल से अधिक समय से जेल में बंद हनी बाबू की रिहाई का रास्ता साफ हो गया। हालांकि जमानत से जुड़ी शर्तों और अदालत की विस्तृत टिप्पणियों का इंतजार अभी किया जा रहा है।