अवमानना मामले में नोटिस पर कोई कार्रवाई न करने के कारण हाईकोर्ट ने बिजनौर DM के खिलाफ जारी किया जमानती वारंट
बिजनौर की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (जसजीत कौर) के अवमानना मामले में जवाब न देने पर सख्त रुख अपनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने गुरुवार को उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया। वह डिस्ट्रिक्ट लेवल कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की चेयरमैन भी हैं।
जस्टिस मनीष कुमार की बेंच ने यह आदेश तब दिया, जब राज्य के वकील ने बताया कि अधिकारी ने नोटिस मिलने के बाद चीफ स्टैंडिंग काउंसिल के ऑफिस से कभी संपर्क नहीं किया।
बेंच ने आदेश देते हुए कहा,
"अगली सुनवाई की तारीख तक कोर्ट में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए C.J.M बिजनौर के ज़रिए प्रतिवादी को जमानती वारंट जारी किया जाए।"
मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी।
कोर्ट असल में आवेदक (विक्रम सिंह) द्वारा दायर अवमानना याचिका (सिविल) पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें इस साल अप्रैल में एक रिट याचिका में पारित आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया।
20 नवंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नोट किया कि ऑफिस रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवादी (सुश्री जसजीत कौर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, बिजनौर) को 6 नवंबर, 2025 की तारीख के लिए नोटिस दिया गया।
पिछली सुनवाई 6 नवंबर को स्टैंडिंग काउंसिल ने कंप्लायंस एफिडेविट दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा और उन्हें यह समय दिया गया।
स्टैंडिंग काउंसिल को जानकारी न देने या निर्देश न देने की इस खास विफलता को देखते हुए कोर्ट ने अब उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया।
अवमानना याचिका विक्रम सिंह द्वारा पहले दायर रिट याचिका से संबंधित है, जिसे एक डिवीजन बेंच ने निपटाते हुए याचिकाकर्ता को अपनी जाति की स्थिति का पता लगाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल कास्ट स्क्रूटनी कमेटी से संपर्क करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने विशेष रूप से निर्देश दिया कि कमेटी को कुमारी माधुरी पाटिल और अन्य बनाम एडिशनल कमिश्नर ट्राइबल डेवलपमेंट मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस प्रक्रिया में विजिलेंस ऑफिसर द्वारा जांच अनिवार्य होगी।
रिट कोर्ट ने आगे निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता 15 दिनों के भीतर आवेदन करता है तो कमेटी 3 महीने के भीतर उस पर विचार करेगी। अपनी इस अवमानना याचिका में याचिकाकर्ता का आरोप है कि रिट कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया, क्योंकि विजिलेंस ऑफिसर द्वारा जांच नहीं की गई।
15 सितंबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सिंगल जज ने प्रतिवादी (कौर) को नोटिस जारी कर पूछा कि "22.04.2025 के फैसले और आदेश का पालन न करने के लिए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही क्यों शुरू न की जाए।"
नोटिस मिलने के बावजूद डीएम ने चीफ स्टैंडिंग काउंसिल के ऑफिस से संपर्क नहीं किया। इसलिए अब उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया।