शरजील इमाम और अन्य को डिस्चार्ज करने के कुछ दिन बाद जज ने जामिया हिंसा मामले की सुनवाई से खुद को 'व्यक्तिगत कारणों' से अलग किया
ट्रायल कोर्ट के जज ने 2019 जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोप मुक्त करने के कुछ दिनों बाद "व्यक्तिगत कारणों" का हवाला देते हुए हिंसा से संबंधित ऐसे ही मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास 2019 में हुई हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और अनुरोध किया कि मामले को दूसरे न्यायाधीश को स्थानांतरित कर दिया जाए।
उन्होंने कहा,
"व्यक्तिगत कारणों से वर्तममान मामले की सुनवाई से अलग हो रहे हैं।"
ट्रांसफर तय करने के लिए मामला अब 13 फरवरी को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध है।
यह घटनाक्रम जामिया नगर पुलिस स्टेशन में 2019 में दर्ज एफआईआर में आया था। जज द्वारा आरोपमुक्त किया गया आसिफ इकबाल तनहा भी विचाराधीन एफआईआर में एक आरोपी है।
कड़े शब्दों में आदेश पारित करते हुए जज वर्मा ने आरोपी व्यक्तियों को यह देखने के बाद आरोपमुक्त कर दिया कि पुलिस "वास्तविक अपराधियों" को पकड़ने में असमर्थ रही और "निश्चित रूप से उन्हें बलि का बकरा बनाने में कामयाब रही।"
हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए यह कहते हुए आदेश को चुनौती दी कि ट्रायल कोर्ट "भावनात्मक और भावुक भावनाओं" से प्रभावित था और अभियोजन और जाँच के खिलाफ "गंभीर प्रतिकूल और प्रतिकूल टिप्पणी" पारित की।
"गलत तरीके से चार्जशीट" दाखिल करने के लिए अभियोजन पक्ष की खिंचाई करते हुए जज वर्मा ने कहा कि पुलिस ने विरोध करने वाली भीड़ से कुछ लोगों को आरोपी और अन्य को पुलिस गवाह के रूप में पेश करने के लिए "मनमाने ढंग से चुना।"
दिल्ली पुलिस की पुनर्विचार याचिका का उल्लेख एसजीआई तुषार मेहता ने किया, जिसमें तत्काल लिस्टिंग की मांग की गई, जिसे सोमवार के लिए अनुमति दी गई।
मामले की सुनवाई जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा करेंगी।