पत्रकार ने 'द केरल स्टोरी' मूवी पर प्रतिबंध लगाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया
चेन्नई के एक पत्रकार ने "द केरल स्टोरी" फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
फिल्म के टीजर में लगाए गए बेबुनियाद आरोपों को लेकर बीआर अरविंदक्षण ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को शिकायत भेजकर याचिका दायर की है।
अपनी याचिका में अरविंदक्षण ने प्रस्तुत किया कि फिल्म केरल राज्य को आतंकवादी-समर्थक राज्य के रूप में चित्रित करने का एक जानबूझकर प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी जाती है, तो यह पूरे देश के लिए अपमानजनक होगा क्योंकि इससे यह धारणा बनेगी कि भारत एक ऐसा देश है जो आतंकवादी पैदा करता है।
याचिका में आगे कहा गया है कि फिल्म भारत में रहने वाले एक विशेष समुदाय के खिलाफ भी भावनाएं पैदा कर सकती है और देश की संप्रभुता और एकता को सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा कर सकती है।
अरविंदक्षण ने यह भी कहा कि फिल्म का टीज़र निराधार आंकड़ों का उपयोग करके विकृत तथ्यों को दिखा रहा है। उनका यह भी कहना है कि फिल्म का टीजर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से बिना किसी पूर्व अनुमति के जारी किया गया है जो अपने आप में कानून का उल्लंघन है। उनका यह भी तर्क है कि फिल्म सिनेमैटोग्राफी अधिनियम की धारा 5 (बी) के तहत प्रमाणन के लिए अयोग्य है, जो फिल्म के किसी भी हिस्से को राज्य की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के खिलाफ पाए जाने पर प्रमाणन को रोकता है।
उन्होंने आगे कहा कि भले ही उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय के सचिव को अभ्यावेदन भेजा था, उस पर विचार नहीं किया गया। इस प्रकार, उन्होंने मंत्रालय को उनके प्रतिनिधित्व पर विचार करने और फिल्म में सामग्री की सत्यता की जांच करने का निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फिल्म के खिलाफ इसी तरह की याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ताओं को केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी थी, जहां ऐसी ही याचिकाएं विचाराधीन थीं।
केस टाइटल : बीआर अरविंदक्षण बनाम भारत संघ और अन्य