पत्रकार ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया: जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किए

Update: 2021-07-28 05:52 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पत्रकार द्वारा पुलिस के हाथों उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की खंडपीठ ने प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि,

"इस देश का नागरिक बिना किसी कारण, तर्क या औचित्य के याचिकाकर्ता और उसके परिवार को परेशान करने और धमकी देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गंभीर शिकायत लेकर अदालत के सामने आया है।"

संक्षेप में मामला

पेशे से पत्रकार याचिकाकर्ता इफ्तिखार रशीद ने सभी तथ्यों को बताते हुए पुलिस अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न करने और धमकी दिए जाने का आरोप लगाया, जिसके कारण याचिकाकर्ता को न केवल उसे बल्कि उसके परिवार को भी परेशान किया गया।

याचिकाकर्ता द्वारा इसके अलावा यह कहा गया कि याचिकाकर्ता के पास पुलिस कर्मियों सहित कुछ व्यक्तियों के साथ धन संक्रमण के संबंध में कुछ मुद्दे हैं अर्थात जी. मोहम्मद (एसपीओ), हारून राशिद (एसपीओ) और मोहम्मद इकबाल वानी (एक ज्वेलरी शॉप के मालिक) से संबंधित हैं।

इसके अलावा यह आरोप लगाया कि उक्त व्यक्तियों के इशारे पर उन्हें बिना किसी कारण और कानूनी औचित्य के पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है।

रिट याचिका में यह भी कहा गया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के घर पर छापा मारकर और थानों में बार-बार फोन करके और उपरोक्त व्यक्तियों के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर करके याचिकाकर्ता और उसके परिवार के जीवन को दयनीय बना दिया है।

याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।

याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण रूप से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्होंने सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटाया क्योंकि जिला स्तर पर कोई पुलिस शिकायत प्राधिकरण नहीं है जो पुलिस अधीक्षक और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों के खिलाफ उनकी शिकायतों को देखे और पुलिस उपाधीक्षक और राज्य प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ उनकी शिकायत से निपट सके। ।

कोर्ट का आदेश

नतीजतन, यह देखते हुए कि कोई भी गलत धमकियों/आरोपों के आधार पर अदालत का दरवाजा खटखटाने का ऐसा कदम नहीं उठा सकता है, अदालत ने याचिकाकर्ता की बात पर प्रथम दृष्टया विश्वास करते हुए नोटिस जारी किया।

न्यायालय ने अंतरिम उपाय के रूप में यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार को किसी भी तरह से उत्पीड़ित नहीं किया जाएगा और यदि किसी मामले में कार्रवाई की आवश्यकता है, तो यह कानून के अनुसार किया जाएगा।

केस का शीर्षक - इफ्तिखार रशीद बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर एंड अन्य।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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