आपराधिक कार्यवाही के विपरीत दुर्भावनापूर्ण अभियोजन पर सिविल कार्यवाही के खिलाफ आम तौर पर कार्रवाई नहीं होती: जेकेएल हाईकोर्ट

Update: 2022-11-28 06:06 GMT

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही से संबंधित द्वेषपूर्ण अभियोजन के मामलों के विपरीत दीवानी कार्यवाही के मामलों में सामान्य नियम के रूप में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती, भले ही वे द्वेषपूर्ण हों और बिना किसी उचित कारण के लाई गई हों।

जस्टिस संजय धर ने कहा,

"यह केवल असाधारण परिस्थितियों में है कि दीवानी कार्यवाही में दुर्भावनापूर्ण अभियोजन पक्ष के नुकसान के लिए मुकदमा कायम रखा जा सकता है।"

एकल पीठ द्वेषपूर्ण अभियोजन के लिए मुआवजे की मांग वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा कि वसूली के लिए पहला मुकदमा अपीलकर्ता द्वारा दायर किया गया और प्रतिवादी ने अभियोजन शुरू नहीं किया। प्रतिवादी ने यहां वसूली सूट में अपीलकर्ता के पक्ष में दिए गए अवार्ड के खिलाफ केवल अपील और पुनर्विचार याचिकाएं दायर कीं।

इस पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट ने कहा कि दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के लिए हर्जाने की वसूली के मामले में सफल होने के लिए पहले यह दिखाना होगा कि यह प्रतिवादी है, जिसने अभियोजन शुरू किया है। वर्तमान मामले में माना जाता है कि मुकदमा वादी द्वारा शुरू किया गया न कि प्रतिवादी द्वारा।

पीठ ने आगे कहा कि अपीलकर्ता यह दिखाने में विफल रहा कि प्रतिवादी ने बिना किसी उचित कारण के मुकदमे का सहारा लिया।

पीठ ने कहा,

"मौजूदा मामले में एक बार प्रतिवादी के खिलाफ अवार्ड पारित हो जाने के बाद उसके पास उचित कार्यवाही के माध्यम से इसे चुनौती देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए यह स्वीकार किए गए तथ्यों के आधार पर भी नहीं कहा जा सकता कि प्रतिवादी ने बिना किसी उचित कारण के कार्यवाही के लिए इन्हें दायर किया है।"

तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: जगदीश गिरी बनाम तालिब हुसैन।

साइटेशन : लाइवलॉ (जेकेएल) 226/2022

कोरम: जस्टिस संजय धर

याचिकाकर्ता के वकील: प्रिंस हमजा

प्रतिवादी के वकील: टी. एच. ख्वाजा

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