इंस्पेक्शन रिपोर्ट उचित कारण बताओ नोटिस की सामग्री को पूरा नहीं करती: झारखंड हाईकोर्ट

Update: 2022-07-25 08:10 GMT

झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि इंस्पेक्शन रिपोर्ट उचित कारण बताओ नोटिस की सामग्री को पूरा नहीं करती है; यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने कहा कि यदि उचित कारण बताओ नोटिस जारी किए आदेश बिना पारित किया जाता है तो न्यायनिर्णयन आदेश कानून की नजर में शून्य है।

संयुक्त राज्य कर आयुक्त के आदेश से दिनांक 11.1.2020 को जांच ब्यूरो के अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा याचिकाकर्ता/निर्धारिती के परिसर में इंस्पेक्शन किया गया और प्रतिवेदन तैयार किया गया। इंस्पेक्शन रिपोर्ट के निचले भाग में याचिकाकर्ता को 17.1.2020 को संयुक्त राज्य कर आयुक्त के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया, जिसमें विफल रहने पर झारखंड जीएसटी (जेजीएसटी) अधिनियम की धारा 73, 50(1) और 125 के तहत कार्यवाही शुरू की जाएगी।

इंस्पेक्शन टीम ने इंस्पेक्शन रिपोर्ट में याचिकाकर्ता के खिलाफ तीन विसंगतियों का आरोप लगाया: भौतिक स्टॉक में माल की कमी, सारांश स्टॉक में माल की कमी और व्यापार की अतिरिक्त जगह घोषित करने में विफलता। याचिकाकर्ता को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। राज्य कर के संयुक्त आयुक्त के समक्ष खरीद चालान और भुगतान साक्ष्य के साथ विसंगतियां पाई गई।

इंस्पेक्शन प्रतिवेदन के अनुसरण में प्रतिवादी द्वारा जांच की कार्यवाही प्रारंभ की गई। याचिकाकर्ता को आवश्यक लेखा पुस्तकों के साथ अधिकारियों के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया। याचिकाकर्ता अपनी लेखा पुस्तकों के साथ प्रतिवादी के समक्ष पेश हुआ।

इंस्पेक्शन के अनुसार, याचिकाकर्ता को 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-2021 की अवधि के लिए अलग से फॉर्म जीएसटी डीआरसी 07 पर आदेश दिया गया। इस तथ्य के बावजूद कि याचिकाकर्ता इंस्पेक्शन के अनुसार प्रतिवादी के समक्ष नियमित रूप से पेश हो रहा था, प्रतिवादी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ कर, ब्याज और दंड की कथित राशि लगाई गई। याचिकाकर्ता को तीन सुधार आदेशों के साथ-साथ फॉर्म जीएसटी डीआरसी 08 पर सुधार आदेश दिया गया, जो सभी प्रतिवादी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले जारी किए गए फॉर्म जीएसटी डीआरसी 07 में से तीन के संबंध में भी जारी किए गए थे।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि फॉर्म जीएसटी डीआरसी-01ए के रूप में कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता को कर, ब्याज या जुर्माना के दायित्व के बारे में सूचित किया गया था। याचिकाकर्ता को इसके खिलाफ फॉर्म जीएसटी डीआरसी-01 के भाग बी में अपनी आपत्ति दर्ज करने से रोक दिया गया। याचिकाकर्ता को जेजीएसटी अधिनियम की धारा 73(1) के तहत कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया। उचित अधिकारी ने कर निर्धारित करने के लिए जेजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत विचार के अनुसार निर्णय प्रक्रिया शुरू नहीं की।

अदालत ने फॉर्म जीएसटी डीआरसी 07 में निहित आदेश के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019–20 के संबंध में फॉर्म जीएसटी डीआरसी 08 में निहित सुधार / निकासी आदेश भी रद्द कर दिया।

केस टाइटल: मेसर्स श्याम हार्डवेयर स्टोर बनाम झारखंड राज्य

साइटेशन: डब्ल्यू.पी.(टी) संख्या 1117 ऑफ 2021

दिनांक: 11.7.2022

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट विष्णु देव भगत

प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट दीपक कुमार दुबे

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