प्रतियोगी परीक्षाओं संबंधित प्रश्नपत्रों को लीक कराना हत्या से भी जघन्य अपराध: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट ने एसआई भर्ती घोटाले में बीएसएफ अधिकारी को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2023-03-16 07:26 GMT

Jammu and Kashmir and Ladakh High Court

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने बुधवार को एक बीएसएफ अधिकारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। वह अधिकारी कथित रूप से जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला मामले में मुख्य आरोपी है।

कोर्ट ने माना कि आर्थिक अपराधों, जिनसे समाज का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो रहा हो, में केवल इस तथ्य पर जमानत देना कि अपराध पर कठोर सजा नहीं दी जा सकती, अपराधी को जमानत देने का आधार नहीं हो सकता।

ज‌स्टिस संजय धर की पीठ ने आरोपी बीएसएफ कमांडेंट (मेडिकल) की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा,

"एक व्यक्ति, जो प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्रों की बिक्री और लीक करने में शामिल है, हजारों युवा उम्मीदवारों के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है। इस तरह का कृत्य हत्या के अपराध से भी अधिक जघन्य है क्योंकि एक व्यक्ति की हत्या करके केवल एक परिवार प्रभावित होता है जबकि हजारों उम्मीदवारों के करियर को बर्बाद करने से पूरे समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।"

अपनी जमानत याचिका में आवेदक ने प्रस्तुत किया था कि उसे सीबीआई ने उपरोक्त आपराधिक मामले में गलत और झूठे तरीके से फंसाया है। वह पेशे से डॉक्टर है, जो सीमा सुरक्षा बल में सीएमओ/कमांडेंट मेडिकल का पद संभाल रहा है। उसकी सर्विस बेदाग रही है।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि मामले में जांच पूरी हो गई है क्योंकि चार्जशीट जम्मू के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पहले ही दायर की जा चुकी है और इस आधार पर उन्होंने आग्रह किया कि याचिकाकर्ता को जमानत दी जानी चाहिए।

चार्जशीट की जांच के बाद जस्टिस धर ने कहा कि यह सच है कि चार्जशीट पहले ही मजिस्ट्रेट के सामने रखी जा चुकी है, लेकिन चार्जशीट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए आगे की जांच, अपराध की कार्यवाही का पता लगाने, भूमिका स्थापित करने के लिए अन्य अभियुक्तों की जांच और एफआईआर में लगाए गए अन्य आरोपों की जांच चल रही है और इसलिए याचिकाकर्ता का यह तर्क कि मामले में जांच पूरी हो चुकी है, स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के इस तर्क से सहमत होने से इनकार करते हुए कि उन्हें मामले में "गलत और झूठा फंसाया गया" है, ज‌स्टिस धर ने जेकेएसएसबी द्वारा आयोजित वित्त लेखा सहायक परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक से संबंधित एक और एफआईआरऔर याचिकाकर्ता की भूमिका की ओर इशारा किया।

कोर्ट ने कहा,

"इतना ही नहीं, सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी याचिकाकर्ता के खिलाफ है। रिपोर्ट में, यह उल्लेख किया गया है कि याचिकाकर्ता घूस लेकर बीएसएफ में कई उम्मीदवारों को शामिल करने में कामयाब रहा और उसने गुप्त रूप से विज्ञापन दिया था कि वह संभावित उम्मीदवारों को मेडिकल टेस्ट पास करने में मदद करेगा।”

सरकारी जांच रिपोर्ट की सामग्री पर प्रकाश डालते हुए, जो याचिकाकर्ता के कुछ ऊंचे और शक्तिशाली राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंधों की ओर इशारा करती है, ज‌स्टिस धर ने कहा, "याचिकाकर्ता की एक जैसे अपराधों में लिप्त होने की प्रवृत्ति के मद्देनजर, उसे इस स्तर पर जमानत देना उचित नहीं होगा, जबकि सब-इंस्पेक्टर पदों के प्रश्नपत्र लीक होने की बड़ी साजिश से संबंधित जांच अभी बाकी है।"

पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों को किसी भी प्रकार से सामान्य आरोप नहीं कहा जा सकता है। आर्थिक अपराध एक अलग वर्ग का गठन करते हैं और जमानत के मामले में एक अलग दृष्टिकोण के साथ इन्हें देखने की की आवश्यकता है।

ज‌स्टिस धर ने कहा,

"ऐसे आर्थिक अपराध, जिनमें गहरी साजिश शामिल हो और सार्वजनिक धन की भारी नुकसान हो रहा हो, उन्हें गंभीरता से देखा जाना चाहिए और देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले गंभीर अपराध के रूप में माना जाना चाहिए और इससे देश के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।"

उसी के मद्देनजर पीठ ने जमानत अर्जी खारिज कर दी और सीबीआई को निर्देश दिया कि वह मामले में आगे की जांच पूरी करे और यदि कोई पूरक चार्जशीट हो तो उसे तीन महीने के भीतर दाखिल करे।

केस टाइटल: करनैल सिंह बनाम यूटी ऑफ जेएंडके

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (जेकेएल)

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