सजा से पहले जेल एक तरह की सजा है क्योंकि हमारे देश में सजा की दर 'बेहद कम' हैः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
एक हत्या के आरोपी की जमानत रद्द करने के निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि हमारे देश में दोषसिद्धि की दर बहुत कम होने के कारण आरोपी को दोषी ठहराए जाने से पहले उसका जेल में रहना एक प्रकार की सजा बन जाती है।
जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने यह भी कहा कि प्रत्येक मनुष्य का जीवन ईश्वर का सबसे कीमती उपहार है और सभी के पास जीवन की बहुत सीमित अवधि होती है जिसे किसी की अक्षमता, व्यक्तिगत द्वेष, किसी के प्रतिशोध या क्रूर, अवैध, राज्य की मशीनरी की अनैतिक कार्रवाई के कारण खराब नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने आगे कहा,''आदतन अपराधी को छोड़कर, गिरफ्तारी के बाद सादा जीवन जीने वाले आम लोग अपने और राज्य के प्रति आत्म-सम्मान और विश्वास खो देते हैं। आपराधिक कानून को गति देना बहुत आम हो गया है, भले ही इसमें शामिल विवाद विशुद्ध रूप से संविदात्मक या सिविल प्रकृति का हो। कई बार गिरफ्तारी हमारे जैसे घनिष्ठ रूप से जुड़े समाज में हमेशा के लिए कलंक बनने के अलावा पूरे परिवार को आय के स्रोत से वंचित कर देती है।''
कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति को मुआवजा देने की कोई व्यवस्था नहीं है जो बाद में निर्दाेष पाया जाता है और न ही बरी होने से परिवार के सदस्यों,विशेष रूप से बच्चों का बहुमूल्य समय, ऊर्जा, स्टे्टस, भविष्य वापस आ सकता है, जो परिवार के रोटी कमाने वाले की कैद के कारण खो जाता है।
अदालत ने हरिंदर सिंह उर्फ हैरी (भारतीय दंड संहिता की धारा 365, 302, 328, 201 आर/डब्ल्यू 34 और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 21 के तहत मामला दर्ज) की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, लुधियाना ने उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी,जिसके तहत उसके द्वारा प्रस्तुत जमानत बांड को रद्द कर दिया गया था और उसके खिलाफ गिरफ्तारी के गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे।
उसकी तरफ से यह प्राथमिक दलील दी गई कि इस मामले में उसके खिलाफ 2017 में एक एफआईआर दर्ज की गई थी और इस साल मई में, उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। हालांकि, लुधियाना ट्रायल कोर्ट में उनके पेश न होने के कारण, कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। यह भी कहा कि वह अगली सुनवाई पर ट्रायल कोर्ट में पेश होने के लिए तैयार है।
इन तथ्यों पर विचार करते हुए और यह देखते हुए कि बांड को रद्द करने या भगौड़ा अपराधी/व्यक्ति के रूप में किसी की घोषणा का उद्देश्य उसकी उपस्थिति को सुरक्षित करना है,अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद मुकदमे का सामना करने के लिए आगे आया है और प्रत्येक तारीख को ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होने का वचन दिया है, इसलिए उसकी याचिका को स्वीकार किया जाता है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को 9 दिसंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होने और कोर्ट की संतुष्टि के लिए नए जमानत बांड भरने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये की जुर्माना लगा दिया है,जो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लुधियाना के पास जमा कराना होगा क्योंकि उसने अदालत व अभियोजन के मूल्यवान समय और ऊर्जा को नष्ट किया है।
केस टाइटल- हरिंदर सिंह उर्फ हैरी बनाम पंजाब राज्य,सीआरएम-एम-51476/2022
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