"यह गंभीर सुरक्षा चिंताएं पैदा करता है", पटना हाईकोर्ट ने शताब्दी भवन के निकट स्थित 'विशाल संरचना' का न्यायिक नोटिस लिया
पटना उच्च न्यायालय ने सोमवार (01 मार्च) को पटना उच्च न्यायालय के नवनिर्मित शताब्दी भवन के समीप उत्तर दिशा में स्थित एक 'विशाल संरचना'/बिल्डिंग का न्यायिक नोटिस लिया।
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति विकाश जैन, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की पूर्ण पीठ ने एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह न्यायिक नोटिस लिया।
दिलचस्प बात यह है कि यह नोटिस, पटना हाईकोर्ट के शताब्दी भवन, जिसका उद्घाटन 27 फरवरी 2021 को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने किया था, में पहले दिन की कार्यवाही के दौरान लिया गया।
भवन / विशाल संरचना की वैधता का पता लगाने के लिए, न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल और कोर्ट अधिकारी को बुलाया और उनसे पूछताछ की, कि क्या इमारत के निर्माण से पहले उससे जुड़ी कोई जानकारी उच्च न्यायालय को दी गई थी।
न्यायालय ने उनसे यह भी पूछा कि क्या वे जानते हैं कि चल रहा निर्माण कानून के अनुसार नक्शे के अनुमोदन के बाद हो रहा है या नहीं।
इसके जवाब में, रजिस्ट्रार जनरल ने अदालत को सूचित किया कि जिला मजिस्ट्रेट और नगर आयुक्त को कुछ दिनों पहले उनके द्वारा बुलाया गया था और उन्होंने संरचना की वैधता के बारे में पूछताछ की, हालांकि, वे उस समय कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे।
इस सबमिशन के मद्देनजर कोर्ट ने विचार किया कि,
"अदालत की कार्यवाही में लगातार बाधा के अलावा, हाईकोर्ट की इमारत के इतने करीब संरचना का अस्तित्व होने के चलते जज, वकीलों, वादकारियों, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के लिए गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है।"
इसके अलावा, अदालत ने यह उचित समझा कि इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के ध्यान में लाया जाए जिससे वो न्यायिक पक्ष में निम्नलिखित पहलुओं पर विचार कर सकें:
• भवन का निर्माण कौन कर रहा है, और इसका निर्माण किसके इशारे पर किया जा रहा है?
• क्या ऐसे व्यक्ति के पास उस जमीन पर अधिकार और टाइटल है, जिस पर निर्माण किया जा रहा है?
• क्या पटना नगर निगम द्वारा भवन का नक्शा विधिवत अनुमोदित किया गया है और निर्माण स्वीकृत योजना के अनुसार है?
• भवन का प्रस्तावित उपयोग क्या है?
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