ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस नहीं होने पर भी बीमा कंपनी मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी, बाद में वाहन मालिक से वसूली कर सकती हैः मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-04-22 13:15 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में माना है कि जब मोटर वाहन अधिनियम के तहत दावा प्रस्तुत किया जाता है, तो बीमा कंपनी मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होती है, भले ही वाहन के ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बाद में वाहन के मालिक से इस राशि की वसूली की जा सकती है।

जस्टिस टीका रमन की (मदुरै) पीठ के समक्ष मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल, पेरियाकुलम द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दुर्घटना में शामिल वाहन के मालिक थानिकोडी ने एक आवेदन दायर किया था,जिस पर पीठ ने उपरोक्त टिप्पणियां की हैं। ट्रिब्यूनल ने माना था कि वाहन का मालिक मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है और बीमा कंपनी को इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया था।

मूल दावेदार मृतक के कानूनी वारिस हैं। उन्होंने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल, पेरियाकुलम के समक्ष दावा याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि ड्राइवर ने जल्दबाजी और लापरवाही से ट्रैक्टर चलाया और बिना किसी संकेत के अचानक अपने वाहन को मोड़ दिया। इस तरह ट्रैक्टर के ठीक पीछे चल रहे दोपहिया वाहन सवार (मृतक) को टक्कर मार दी।

वहीं बीमा कंपनी ने कहा कि दुर्घटना की तारीख पर दुर्घटना में शामिल ड्राइवर के पास वाहन चलाने का कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।

बीमा कंपनी को दोषमुक्त करने या जिम्मेदारी से मुक्त करने के खिलाफ दायर अपील पर, अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि हालांकि उल्लंघन करने वाले वाहन के ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, परंतु बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त नहीं किया जा सकता है और उन्हें पहले भुगतान करना होगा और फिर उसे रिकवर करना होगा। अपीलकर्ता ने इस संबंध में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम स्वर्ण सिंह व अन्य (2004) के मामले में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया।

दूसरी ओर, बीमा कंपनी ने बेली राम बनाम राजिंदर कुमार व एक अन्य (2020) के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर भरोसा किया, जहां अदालत ने माना था कि,

''जब मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, एक अपकृत्यकर्ता ड्राइविंग लाइसेंस की समाप्ति के 30 दिनों के भीतर ड्राइविंग लाइसेंस को नवीनीकृत करने में विफल रहता है तो बीमा कंपनी मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है, क्योंकि वाहन के मालिक ने वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं रखने वाले व्यक्ति को वाहन सौंपकर पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया है।''

कोर्ट ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम कृष्णावेनी व अन्य (2020) में निर्धारित कानून पर चर्चा की, जहां कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि जब वर्कमैन कंपेंसेशन एक्ट के तहत दावा किया जाता है, तो बीमा कंपनी को दोषमुक्त या उसकी जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है। यहां, अधिनियम के तहत दावा याचिका को बनाए रखने के लिए नियोक्ता-कर्मचारी संबंध एक महत्वपूर्ण हिस्सा और पूर्व शर्त है, और ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर बीमा कंपनी को दोषमुक्त किया जा सकता है। हालांकि, जब मोटर वाहन अधिनियम के तहत दावा याचिका दायर की जाती है, तो बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने और वाहन के मालिक से इस राशि की वसूली करने का निर्देश दिया जा सकता है।

अदालत ने इस प्रकार भुगतान और वसूली के सिद्धांत को लागू किया और बीमा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह मृतक के परिवार को मुआवजा प्रदान करे और बाद में कानून के अनुसार वाहन के मालिक से इस राशि की वसूली करे।

केस का शीर्षक- थानिकोडी बनाम परमेश्वरी व अन्य

केस नंबर- सीएमए (एमडी) नंबर -211/2018

याचिकाकर्ता के वकील- श्री आर. सूर्यनारायणन

प्रतिवादी के लिए वकील- श्री एस आनंद चंद्र शेखर (आर 1) और श्री सी कार्तिक (आर 5)

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (एमएडी) 170

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