पति के पॉवर ऑफ अटॉर्नी होल्डर की असुविधा पत्नी द्वारा मांगे गए ट्रांसफर से इनकार का आधार नहीं: केरल हाईकोर्ट

Update: 2022-05-18 07:11 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने माना है कि पति के पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर की असुविधा फैमिली कोर्ट (चाहे पुरुष हो या महिला) के समक्ष लंबित मामले में पत्नी द्वारा मांगे गए ट्रांसफर से इनकार करने का कारण नहीं है।

जस्टिस ए बधरुद्दीन ने कहा कि एक पॉवर ऑफ अटॉर्नी की नियुक्ति के जर‌िए एक प्र‌िंसिपल ने अपने मामले का संचालन करने के लिए एक एजेंट की नियुक्ति किया है और ऐसा एजेंट प्रतिवादी के लिए और उसकी ओर से प्रतिवादी के मामले को लड़ने ओर यात्रा करने में सक्षम कोई भी हो सकता है।

कोर्ट ने कहा, " किसी को भी एक एजेंट की नियुक्त कर, जो बुढ़ापा, बीमारी आदि जैसे कारणों से मामले को चलाने में असमर्थ है, पत्नी के मुकदमे से बचने की अनुमति नहीं है।"

मामले में प्रश्न यह था कि क्या पति की ओर से नियुक्त पॉवर ऑफ अटॉर्नी होल्डर की असुविधा फैमिली कोर्ट के समक्ष लंबित पत्नी की ट्रांसफर याचिका को अस्वीकार करने का कारण है?

मामले में पत्नी ने एडवोकेट पीवी अनूप, फिजो प्रदीश फिलिप, एमपी प्रियेशकुमार और केवी श्रीराज के जर‌िए फैमिली कोर्ट, मुवत्तुपुझा के समक्ष लंबित एक मामले को कोझीकोड में स्थानांतरित करने के लिए अपील दायर की थी। वह कोझीकोर्ड में स्थायी रूप से रह रही है।

हालांकि, एडवोकेट शिरस अलीयार ने यह कहते हुए ट्रांसफर का विरोध किया कि प्रतिवादी विदेश में काम कर रहा है और इसलिए, उसने मामले को संचालित करने के लिए अपने पिता को पावर ऑफ अटॉर्नी के रूप में नियुक्त किया। यदि ट्रांसफर की अनुमति दी जाती है, तो उनके वृद्ध और बीमार पिता के लिए मामले को संचालित करने के लिए कोझीकोड पहुंचना असुविधाजनक होगा। इसलिए, ट्रांसफर की अनुमति नहीं दी जा सकती, उन्होंने आग्रह किया।

हालांकि न्यायालय ने प्रतिवादी की आपत्ति में कोई योग्यता नहीं पाई और पत्नी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर याचिका की अनुमति दे दी। फैमिली कोर्ट मुवत्तुपुझा के समक्ष लंबित मामले को कोझीकोड स्थानांतरित कर दिया गया।

केस टाइटल: मिनी एंटनी बनाम सावियो अरुजा

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 227

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