दोषपूर्ण याचिकाएं दायर करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया ₹5,000 का जुर्माना

Update: 2025-11-19 04:53 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले पक्षकार पर दोषपूर्ण रिट याचिका दायर करने और कानून के विपरीत प्रार्थना करने के लिए ₹5,000 का जुर्माना लगाया।

याचिकाकर्ता ने अपनी संविदा नियुक्ति के विस्तार के आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था, उससे संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा,

“कोर्ट को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले याचिकाकर्ताओं के मामलों से निपटने में बार-बार कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी रिट याचिकाएं हमेशा दोषपूर्ण रहती हैं। यहां तक कि उनमें दिए गए कथन भी उचित नहीं हैं, क्योंकि वे कानून और प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं और आमतौर पर वे न्यायमित्र की सेवाएं लेने से इनकार कर देते हैं।”

यह ध्यान दिया गया कि याचिकाकर्ता ने उस आदेश को चुनौती दी, जिसके द्वारा उसकी सेवाएं बढ़ाई गईं और चयन प्रक्रिया के परिणाम को भी चुनौती दी, जिसमें वह सफल उम्मीदवारों को पक्षकार बनाए बिना असफल रहा था। कोर्ट ने यह भी बताया कि 'चयन समिति' को प्रतिवादी बनाया गया, जो गलत था।

कोर्ट ने कहा कि यद्यपि असाधारण मामलों में अपना बचाव करने वाले लोग वकीलों से अधिक प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं था। कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आग्रह के बावजूद एमिक्स क्यूरी की सहायता लेने से इनकार कर दिया था।

यह देखते हुए कि कोर्ट ने दोषों के बावजूद याचिकाकर्ता की बात धैर्यपूर्वक सुनी, कोर्ट ने कहा,

“कोर्ट ऐसे रिट याचिकाकर्ता को दोषपूर्ण रिट याचिका के आधार पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और कानून के विपरीत प्रार्थना करने में सहायता नहीं कर सकता। तदनुसार, यह रिट याचिका खारिज की जाती है। साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर में व्यक्तिगत रूप से जमा किए जाने वाले 5000/- रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है।”

Case Title: Deepak Chowrasia v. State Of U.P. And 4 Others [WRIT - A No. - 20558 of 2024]

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