सांप्रदायिक हिंसा और मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करेंः राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की

Update: 2021-06-07 15:00 GMT

कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर मांग की है कि मध्य प्रदेश राज्य को निर्देश दिया जाए कि भीड़ की हिंसा, सांप्रदायिक हिंसा और मॉब लिंचिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए विभिन्न मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों को लागू किया जाए।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल की पीठ) ने सोमवार को इस याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

याचिका अधिवक्ता रवींद्र सिंह छाबड़ा और मुदित माहेश्वरी के माध्यम से दायर की गई है,जिसमें तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ (2018) 9 एससीसी 501, पुलिस आयुक्त व अन्य बनाम आचार्य जगदीश्वरानंद अवधूत व अन्य (2004) 12 एससीसी 770 और अरुमुगम सेरवई बनाम तमिलनाडु राज्य (2011) 6 एससीसी 405 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लेख किया गया है।

तहसीन पूनावाला - कोर्ट ने निर्देश जारी किया है कि सांप्रदायिक हिंसा, भीड़ की हिंसा या लिंचिंग के मामले में राज्य के अधिकारियों द्वारा निवारक, उपचारात्मक और दंडात्मक उपाय अपनाए जाएं।

आचार्य जगदीश्वरानंद अवधूत - न्यायालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए है कि जब भी किसी धार्मिक संगठन या संप्रदाय द्वारा इन धार्मिक रैलियों का आयोजन किया जाता है, तो इसकी अनुमति माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार दी जानी चाहिए।

अरुमुगम सेरवई - अदालत ने सांप्रदायिक हिंसा के मामले में लापरवाही बरतने वाले लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच कराने के निर्देश जारी किए हैं।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह की आड़ में इंदौर, मंदसौर और उज्जैन जिलों में कुछ संगठनों के सदस्यों द्वारा हाल ही में की गई सांप्रदायिक हिंसा की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है किः

''यह सांप्रदायिक हिंसा, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को भंग करने और पीड़ितों की अचल-चल संपत्ति के विनाश के निशान छोड़ गई हैं।''

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि वह अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण के पवित्र कार्य का समर्थन करता है, हालांकि धन/ दान का संग्रह स्वैच्छिक होना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को इस पवित्र उद्देश्य के लिए दान देने के लिए मजबूर या धमकी नहीं दी जानी चाहिए।

सिंह की याचिका में कहा गया है, ''इस पवित्र कार्य की आड़ में, कुछ संगठन मध्य प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को अपना प्रभुत्व दिखाने और सांप्रदायिक सद्भाव भंग करने के लिए निशाना बना रहे हैं।''

सिंह ने आगे अदालत के समक्ष प्रार्थना की है कि मध्य प्रदेश राज्य को निर्देश जारी किया जाए कि किसी भी धार्मिक संगठन या धार्मिक संप्रदाय द्वारा आयोजित रैलियों के मामले में सार्वजनिक शांति भंग करने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने से रोकने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके।

याचिका में अन्य दलीलें

याचिका में मंदसौर, उज्जैन और इंदौर में हुई अलग-अलग घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जिनमें कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को हिंसा के प्रकोप का सामना करना पड़ा था।

इस पृष्ठभूमि में, याचिका में कहा गया है किः

''यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और पुलिस राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाध्य हैं और राज्य का कर्तव्य भी राज्य में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है जो भारत के संविधान की प्रस्तावना और अन्य भागों में निहित कल्याणकारी राज्य के लक्ष्य व उद्देश्य को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है।''

इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि यदि मध्य प्रदेश राज्य द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का मूल भावना में पालन किया जाता है, तो यह ऐसी घटनाओं को रोकना, सांप्रदायिक घटनाओं के पीड़ितों को पर्याप्त राहत और मुआवजा प्रदान करना सुनिश्चित हो जाएगा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रशासन और पुलिस के उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए जो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार थे। सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के मामलों में अधिकारियों से प्रोफेशनल और निष्पक्ष प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाए।

याचिका में निम्न प्रार्थनाएं की गई हैं-

-मध्यप्रदेश राज्य को तहसीन पूनावाला मामले में शीर्ष न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार उन स्थानों पर कदम उठाने का निर्देश दिया जाए जहां मध्य प्रदेश में धन संग्रह रैली के दौरान या अन्यथा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं हुई हैं या जहां ऐसी घटनाएं हो सकती हैं।

-मध्य प्रदेश राज्य को निर्देश दिया जाए कि वह अरुमुगम सेरवई मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कदम उठाए और संबंधित विभागीय अधिकारियों को उन सरकारी अधिकारियों की ओर से की गई लापरवाही और कर्तव्य का पालन न करने के मामलों का पता लगाने के लिए जांच करने का निर्देश दे, जिन्हें ऐसी घटनाओं के संबंध में जानकारी होने के कारण इन घटनाओं को रोकना चाहिए था। साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्यवाही करते हुए उनकी गिरफ्तारी नहीं की। लापरवाही पाए जाने पर इन दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

-मध्य प्रदेश राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया जाए कि आचार्य जगदीश्वरानंद अवधूत मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून का पालन प्रतिवादियों द्वारा मध्य प्रदेश राज्य में किसी भी धार्मिक उद्देश्य के लिए या किसी भी धार्मिक संगठन द्वारा आयोजित रैलियों की अनुमति देते समय किया जाए।

-सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षक को उपरोक्त मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप अधिसूचना या सरकारी आदेश जारी करने के लिए मध्य प्रदेश राज्य को निर्देश दिया जाए।

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