अनपढ़ जमानत आवेदक वकालतनामा पर हस्ताक्षर नहीं कर सका : एमपी हाईकोर्ट ने साथी कैदी को नाम लिखना सिखाने के निर्देश दिए

Update: 2021-08-09 05:08 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जमानत आवेदक के द्वारा वकालतनामा पर अपने हस्ताक्षर करने के बजाय अंगूठे का निशान लगाए जाने पर जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।

न्यायमूर्ति विवेक रूस की पीठ ने यह देखते हुए कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 22 साल का एक युवा पूरी तरह से निरक्षर है। यहां तक ​​कि वह अपना नाम भी नहीं लिख सकता, जमानत अर्जी पर सुनवाई टाल दी।

दिलचस्प बात यह है कि कोर्ट ने सहायक जेल अधीक्षक, सबजेल, बागली को उसे माध्यम शिक्षा देने का आदेश दिया ताकि वह अपना नाम लिख सके और वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर सके।

कोर्ट ने सहायक जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह उसे एक सह-कैदी प्रदान करें, जो उसे पढ़ा सके ताकि वह कम से कम अपना नाम लिख सके।

इस संबंध में न्यायालय का आदेश इस प्रकार है:

"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 22 साल का एक युवा पूरी तरह से निरक्षर है और यहां तक ​​कि वह अपना नाम भी नहीं लिख सकता है। इसलिए इस जमानत अर्जी की सुनवाई टाल दी जाती है। आवेदक को बुनियादी शिक्षा दी जाए, ताकि वह वकालतनामा पर अपना नाम लिख सके और हस्ताक्षर कर सके। सहायक जेल अधीक्षक, सबजेल, बागली को एक सह-कैदी प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है, जो उसे पढ़ा सके, ताकि वह कम से कम अपना नाम लिख सके।

इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने मामले को दो अगस्त को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

जमानत याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता की दुकान में कथित तौर पर चोरी की और एक मोबाइल फोन भी चुरा लिया था। इसी के तहत आवेदक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था।

इसके अलावा, दो अगस्त, 2021 को अदालत ने पक्षों को सुना और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह 20/04/2021 से जेल में है और जांच पूरी हो चुकी है। उसने आरोप पत्र दायर किया गया था और उसे जमानत नहीं दी गई थी।

केस का शीर्षक - सुरेश बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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