अवैध प्रवासी कभी-कभी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हुए भारतीय नागरिकों के अधिकारों का भी उल्लंघन करते हैं : कर्नाटक हाईकोर्ट
फॉरेनर्स एक्ट 1946 के तहत अवैध प्रवासियों को हिरासत में रखने के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अवैध प्रवासी कभी-कभी नागरिकों पर दबाव डालते हैं और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर देते हैं।
न्यायमूर्ति के एन फेनेंद्र की पीठ ने कहा कि-
''भारत एक बड़ा देश है, जिसकी कई देशों के साथ सीमाएं लगती हैं। उप-महाद्वीप में रहने वाले लोगों का एक समान इतिहास है और शारीरिक रूप या शारीरिक बनावट में कई समानताएं भी हैं। राजनीतिक या आर्थिक व अहितकारी कारणों सहित विभिन्न कारणों से पड़ोसी देशों के कुछ लोग भारत में प्रवेश कर जाते हैं। हो सकता है कि कुछ सांस्कृतिक और जातीय समानताओं के कारण, कई अवसरों पर ऐसे प्रवासियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, जिस कारण वह हमारे देश में बसने के इच्छुक हो जाते हैं और इसके लिए पूरा प्रयास भी करते हैं। ये अवैध प्रवासी कभी-कभी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर देते हैं और भारतीय नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।''
कोर्ट ने यह भी कहा कि-
''यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि आज के समय में आतंकवाद अधिकांश देशों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। ऐेसे में जो अवैध प्रवासी स्पष्ट उद्देश्यों के साथ भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, वे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं। यह भारत में हुई विभिन्न घटनाओं से भी स्पष्ट है कि कुछ उपद्रवियों ने भारतीय नागरिकों को अपने गलत लाभ के लिए अपने संगठनों में भर्ती किया, जिससे भारतीय क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ। हमारे पास जम्मू-कश्मीर घुसपैठियों व रोहिंग्याओं के म्यांमार राज्य में किए गए अमानवीय कृत्यों के बहुत ही कड़वे उदाहरण हैं।''
कोर्ट ने कहा कि-
''अवैध प्रवासियों को बनाए रखना कभी-कभी देश के लिए मददगार हो सकता है ,यदि वे अपनी आजीविका के लिए देश में आते हैं और वे सभी मेहनती समुदाय से हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि देश के विभिन्न अधिनियमों और नियमों का उल्लंघन करते हुए इस कारण से उन्हें भारत में रहने की अनुमति दे दी जाए।''
अवैध प्रवासी कौन हैं? अदालत ने अवैध प्रवासियों की स्थिति भी स्पष्ट की।
अदालत ने कहा कि-
''ऐसे व्यक्ति जिन्होंने भारतीय नागरिकता अधिनियम के अनुसार कोई नागरिकता हासिल नहीं की है, लेकिन वह भारत में रहते हैं, वे अवैध प्रवासियों की श्रेणी में आते हैं। यहां तक कि वह बच्चे भी,जो अवैध प्रवासी माता-पिता से पैदा हुए हैं या उनमें से कोई एक अवैध प्रवासी है। ऐसे बच्चे जन्म से स्वतः भारत के नागरिक नहीं बन जाते हैं, इसलिए नियम यह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि भारत का नागरिक बनने के लिए भारत में जन्म लेना एक मापदंड नहीं है परंतु ऐसे व्यक्ति का नागरिकता अधिनियम के तहत परिभाषित परिभाषा के दायरे में आना जरूरी चाहिए।''
ऐसा विदेशी नागरिक, जो भारत का नागरिक नहीं है। फिर भी अगर वह फॉरेनर्स एक्ट के प्रावधानों के साथ-साथ देश के किसी भी दंडात्मक कानून का उल्लंघन करता है तो उसके साथ अन्य आरोपियों जैसा ही व्यवहार किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि
''जहां तक प्रक्रियात्मक पहलुओं का संबंध है तो ऐसे विदेशियों के मामले में भी अधिकारियों द्वारा वही प्रक्रिया अपनाई जाने की आवश्यकता है ,जो प्रक्रिया कानून के सक्षम न्यायालयों के समक्ष पंजीकरण, जांच,पूछताछ व ट्रायल के संदर्भ में अपनाई जाती है। सीआरपीसी के सभी प्रावधान स्वतः(इप्सो फैक्टो) ऐसे विदेशी नागरिकों पर भी लागू होते हैं।''
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