शीशम के पेड़ों की अवैध कटाई: केरल हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़े पैमाने पर अवैध रूप से शीशम के पेड़ काटने और उनकी तस्करी के मामले में मुख्य आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
इस तस्करी मामले ने इस साल की शुरुआत में राज्य को हिला दिया था।
न्यायमूर्ति शिरसी वी. ने उसकी जमानत याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर आरोपियों को रिहा किया जाता है, तो वे संभावित रूप से सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता उद्यमी भाइयों की तिकड़ी हैं, जिनकी राज्य और विदेशों में विभिन्न व्यवसायों की शाखाएँ हैं।
उन पर वायनाड के एक आरक्षित जंगल से सदियों पुराने शीशम के पेड़ काटने का आरोप लगाया गया था।
उन पर बिना वैध परमिट के जंगल से शीशम की 54 लकड़ियों को काटने और परिवहन करने का आरोप लगाया गया है।
आपराधिक मामले में अभियोजन पक्ष ने आवेदकों पर राजस्व विभाग की सहमति या जानकारी के बिना आठ करोड़ रुपये मूल्य के पेड़ों को काटने और हटाने का आरोप लगाया है। इससे सरकार को भारी नुकसान हुआ।
जमानत अर्जी में आरोपी ने दलील दी थी कि अपनी संपत्ति से शीशम के पेड़ों को काटने या हटाने के लिए किसी सरकारी प्राधिकरण की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने इस तर्क का समर्थन करने के लिए ग्राम अधिकारी द्वारा प्रमाणित 24 अक्टूबर 2020 का एक सरकारी आदेश भी प्रस्तुत किया।
आवेदकों ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्हें इस मामले में जानबूझकर गलत उद्देश्यों के साथ फंसाया गया था।
भाइयों ने पहले न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन इसे दो अगस्त को खारिज कर दिया गया था।
केस शीर्षक: एंटो ऑगस्टीन और अन्य बनाम केरल राज्य