‘अगर वह गैंगस्टर नहीं है, तो देश में कोई नहीं है’: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट मामले में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को जमानत देने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते यूपी के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत वर्ष 2020 में दर्ज एक मामले में आरोपों और उसके आपराधिक रिकॉर्ड पर विचार करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि अगर अंसारी गैंगस्टर नहीं है तो इस देश में किसी को भी गैंगस्टर नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने उसने और उसके गिरोह के सदस्यों ने लोगों के मन और दिलों में भय और आतंक पैदा करके अकूत संपत्ति अर्जित की है। उसकी स्वतंत्रता इस न्यायालय के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के लिए संकट होगी।
गौरतलब है कि इस जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू होने से पहले अंसारी के वकील ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई थी, हालांकि कोर्ट ने यह देखते हुए गुण-दोष के आधार पर जमानत अर्जी पर फैसला सुनाया कि अंसारी इस खंडपीठ के समक्ष अपने मामले की सुनवाई करवाने से बचना चाहते हैं।
न्यायालय ने इस प्रकार कहाः
‘‘इस अदालत का विचार है कि आरोपी-आवेदक इस खंडपीठ से बचना चाहता है और इसलिए आरोपी आवेदक की ओर से यह प्रार्थना की गई है कि वह इस जमानत अर्जी को वापस लेना चाहता है,इसलिए उसकी याचिका को खारिज कर दिया जाए क्योंकि ऐसा किए जाने के बाद फिर से जमानत अर्जी दाखिल करने पर कोई रोक नहीं है। इसलिए, यह अदालत अर्जी को वापिस लेने की अनुमति देते हुए जमानत अर्जी को खारिज करने के बजाय योग्यता के आधार पर मामले का फैसला करने के लिए आगे बढ़ना चाहेगी ... बेंचमार्क यह है कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए, जिसे हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए। बेंच-हंटिंग, बेंच-होपिंग और बेंच से बचने के किसी भी प्रयास को दृढ़ता से निरस्त करने की आवश्यकता है।’’
अंसारी पर आरोप
यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला इस आरोप से शुरू हुआ कि अंसारी और उसके गिरोह के सदस्यों ने 2014 में अंसारी के एक प्रतिद्वंद्वी ठेकेदार के साथ काम करने वाले निर्दाेष श्रमिकों पर अवैध स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे।
आरोप है कि उसके गिरोह के सदस्य भय और आतंक फैलाना चाहते थे और यह संदेश देना चाहते थे कि उनके क्षेत्र में किसी को भी सरकार के ठेके का काम लेने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए। उक्त अपराध के संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506 और 120-बी के तहत एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी और जांच पूरी होने के बाद आरोप पत्र दायर किया गया था।
चूंकि इस घटना से अफरा-तफरी का माहौल बन गया था और लोग डरे-सहमे हुए थे, इसलिए एक गैंग चार्ट तैयार किया गया था और जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित किया गया था। जिसमें गिरोह की आपराधिक गतिविधियों जैसे हत्या आदि को नोट किया गया था और कहा गया था कि इससे कानून और व्यवस्था की समस्या बनी रहती है और कोई भी उनके खिलाफ सबूत देने की हिम्मत नहीं करता है।
न्यायालय की टिप्पणियां
शुरुआत में, अदालत ने अंसारी के आपराधिक इतिहास और 2012-13 में एमएलए फंड की हेराफेरी के एक मामले में पिछले साल उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए उनके खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखा,जिसमें जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की खंडपीठ ने निम्नलिखित टिप्पणियां की थीः
‘‘वह एक कठोर और आदतन अपराधी है, जो 1986 से अपराध के क्षेत्र में है, लेकिन उसके खिलाफ एक भी दोष सिद्ध नहीं हो पाया है। उसके खिलाफ जघन्य प्रकृति के 56 से अधिक मामले हैं और वह इस तरह से अपने मामलों का प्रबंधन कर सकता है कि हाल ही में दी गई दो सजाओं को छोड़कर उसे एक भी मामले में सजा नहीं मिली है... यह न्यायिक प्रणाली के लिए कलंक और चुनौती है कि अपराध के क्षेत्र में इस तरह का खूंखार और सफेदपोश अपराधी अपराजित और अबाध्य है।’’
इसके अलावा, न्यायालय ने इस तथ्य पर भी निराशा व्यक्त की है कि अंसारी लगातार छह बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित होने में कामयाब हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि,
‘‘यह हमारे लोकतंत्र का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और बदसूरत चेहरा है जहां एक व्यक्ति, एक तरफ लगभग सेशन कोर्ट में चल रहे दो दर्जन मुकदमों का सामना कर रहा है और दूसरी तरफ वह लगातार छह बार जनता द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप में चुना जाता है।’’
अभियुक्त-आवेदक के आरोपों और आपराधिक रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य को भी ध्यान में रखते हुए कि अधिकांश मामलों में अभियुक्त-आवेदक को बरी किया जा सकता है क्योंकि गवाह डर और आतंक के कारण मुकर गए हैं या गवाहों का सफाया हो गया और वह एक अपराधी, गैंगस्टर और बाहुबली है, अदालत ने उसे जमानत पर रिहा करने का हकदार नहीं पाया।
केस टाइटल- मुख्तार अंसारी बनाम यूपी राज्य, जमानत आवेदन संख्या -11290/2022
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