अगर जुवेनाइल स्वेच्छा से काम करता है वहां जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 और 79 लागू नहीं होती: तेलंगाना हाईकोर्ट
तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) के जस्टिस के. सुरेंदर ने कहा कि जहां जुवेनाइल स्वेच्छा से काम करता है, वहां किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 और 79 लागू नहीं होती हैं।
दोनों धाराएं क्या कहती हैं?
धारा 75 में सजा का प्रावधान है, अगर कोई व्यक्ति बच्चे को अपने नियंत्रण में रखता है, हमला करता है, दुर्व्यवहार करता है या जानबूझकर बच्चे की उपेक्षा करता है।
धारा 79 बाल कर्मचारी के शोषण के लिए सजा से संबंधित है। यह किसी बच्चे को प्रत्यक्ष रूप से काम पर लगाने और उसे रोजगार के उद्देश्य से बंधन में रखने या उसकी कमाई को रोकने या ऐसी कमाई को अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करता है।
क्या है मामला?
जिला बाल संरक्षण ईकाई, मेडचल जिले के स्वयंसेवक ने ऑपरेशन मुस्कान के लिए तैनात टीम के साथ मजदूरों के रूप में कार्यरत बच्चों को छुड़ाने का काम किया। एवरबेस्ट फूड्स कंपनी में पाया गया कि 17 साल की चार लड़कियां, 16 साल की एक लड़की और 14 साल की एक लड़की कंपनी में काम कर रही थीं।
पुलिस ने जांच के बाद कंपनी के नियोक्ता, याचिकाकर्ता/अभियुक्त के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 और 79 के तहत अपराधों के लिए चार्जशीट दायर किया।
अधिनियम की धारा 75 और 79 के तहत अपराधों के लिए मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की फाइल पर कार्यवाही को रद्द करने के लिए आपराधिक याचिका दायर की गई थी।
मामले के वर्तमान तथ्यों में, मामले के रिकॉर्ड से यह देखा गया कि जिन किशोरों को नियोजित किया गया था, उन्होंने गवाही दी थी कि वे वित्तीय समस्याओं के कारण काम कर रही थीं। गवाहों ने अभियुक्तों द्वारा किसी भी तरह के हमले या परित्याग या किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक पीड़ा के बारे में नहीं बताया।
कोर्ट ने इसे ध्यान में रखते हुए किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 और 79 के तहत याचिकाकर्ता / अभियुक्त के खिलाफ कार्यवाही को रद्द कर दिया गया और आपराधिक याचिका की अनुमति दी गई।
केस टाइटल: कोथाकोंडा ऐश्वर्या बनाम तेलंगाना राज्य
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