पति की गलती से विवाह शून्य हुआ है तो पति भरण पोषण देने को बाध्य, सुप्रीम कोर्ट ने की केरल हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि

Update: 2019-08-25 05:22 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें यह कहा गया था कि जहां शादी को रद्द कर दिया गया हो या पति द्वारा की गई कुछ शरारत या गलती के कारण शादी को शून्य घोषित किया गया हो तो भी पति को CrPC की धारा 125 के तहत पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करना होगा।

अदालत ने केरल HC के फैसले को रखा बरकरार

न्यायमूर्ति आर. बानुमति और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए पत्नी को भरण-पोषण की पुष्टि करते हुए कहा कि वह फैसले में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है।

CrPC की धारा 125 में 'पत्नी' की परिभाषा

दरअसल CrPC की धारा 125 में "पत्नी" को एक ऐसी महिला के रूप में परिभाषित किया है जो तलाकशुदा है या अपने पति से तलाक ले चुकी है और उसने दोबारा शादी नहीं की है। इस मामले में 'पत्नी' ने पति की नपुंसकता के आधार पर विवाह को रद्द करने की घोषणा के लिए आवेदन किया जिसे उससे छिपाया गया था।

मामले में पति की दलील

उच्च न्यायालय के सामने पति ने उसे भरण पोषण का भुगतान करने के निर्देश देने के आदेश को चुनौती दी थी और कहा कि वो पत्नी जिसका विवाह रद्द हो गया है, वह CrPC की धारा 125 के तहत 'पत्नी' की परिभाषा में नहीं आएगी। पति द्वारा सविताबेन सोमभाई भाटिया बनाम गुजरात राज्य के फैसले पर भरोसा दिखाया गया था।

अदालत का मत

उक्त दलील को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने बादशाह बनाम सौ उर्मिला बादशाह गोडसे के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि जहां विवाह की घोषणा रद्द की गई हो या पति द्वारा किए गए कुछ कुकर्मों या गलत कार्यों के कारण विवाह को अशक्त और शून्य घोषित किया गया हो तो विवाह के शून्य होने के बावजूद भी पति को CrPC की धारा 125 के तहत भरण पोषण का भुगतान करना होगा।

न्यायमूर्ति पी उबैद ने कहा था:

बादशाह के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए बाद के फैसले और कानून की स्थिति यह है कि विवाह रद्द करने की घोषणा अपने आप में CrPC की धारा 125 के तहत महिला को भरण पोषण का दावा करने के लिए असंतुष्ट नहीं करेगी।

ऐसे मामले में जहां विवाह को रद्द कर दिया गया हो या पति द्वारा कुछ शरारत या गलत कार्य के कारण विवाह को अशक्त और शून्य घोषित किया गया हो, उस विवाह को रद्द करने की घोषणा के बावजूद पति को CrPC की धारा 125 के तहत भरण पोषण का भुगतान करना होगा। यहां ऐसा मामला है जहां पत्नी ने पति की नपुंसकता के आधार पर शादी की घोषणा रद्द करने के लिए आवेदन किया था, जिसे उसने अपनी पत्नी से छिपाया गया था।

ऐसी स्थिति में बादशाह बनाम सौ उर्मिला बादशाह गोडसे [2013 (4) KLT 367 (SC)] में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का अनुसरण किया जा सकता है। ऐसी तथ्यात्मक स्थिति में जहां पति ने पत्नी से भौतिक तथ्यों को छिपा लिया और महिला को उसकी गलती के लिए भुगतना पड़ा, सविताबेन के मामले में फैसले को लागू नहीं किया जा सकता।  



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