"एक सभ्य समाज में यह कैसे हो सकता है?" बॉम्बे हाईकोर्ट ने नासिक ऑक्सीजन गैस त्रासदी पर कहा
बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के नासिक में हुई ऑक्सीजन गैस रिसाव त्रासदी के बारे में कहा कि यह चिंता का विषय है। इस त्रासदी में ऑक्सीजन रिसाव के कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी।
जस्टिस दत्ता ने की टिप्पणी,
एक सभ्य समाज में ऐसा कैसे हो सकता है?
जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद एजी ने बताया कि द नासिक म्युनिसिपल अथॉरिटी द्वारा मुख्य सचिव को भेजी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में डॉ. ज़ाकिर हुसैन हॉस्पिटल में हुई घटना पर कहा गया है कि ऑक्सीजन टैंक के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी के हाथ में थी। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का दबाव कम हो रहा था, जिससे रिसाव हुआ।
एडवोकेट जनरल ने कहा,
"इस बीच, ऑक्सीजन का दबाव इस स्तर तक गिर गया कि आपूर्ति जारी रहना लगभग बंद हो गया। इससे ऑक्सीजन की कटौती हुई और स्थिति लगभग एक घंटे 20 मिनट तक जारी रही। उस स्थिति में मौतें हुई हैं। ऑक्सीजन से 131 मरीज थे, जिनमें 15 वेंटिलेटर पर थे और 16 की गंभीर स्थिति थी।"
बेंच ने प्रस्तुतियाँ स्वीकार की और मौखिक रूप से एजी को अदालत को आगे के घटनाक्रम के लिए प्रस्तुत करने के लिए कहा।