संविधान दिवस पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में विशेष समारोह, लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बुधवार को संविधान दिवस (संविधान दिवस) समारोह श्रद्धापूर्ण वातावरण में मनाया गया, जहां न्यायपालिका ने संविधान के मूल्यों, न्याय और लोकतांत्रिक शासन के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। यह कार्यक्रम संविधान दिवस 2025: हमारे लोकतांत्रिक आदर्शों का पुनर्समर्पण विषय पर यूनिटी हॉल में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई, जिसके बाद मुख्य अतिथि चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने दीप प्रज्वलन किया। अपने मुख्य संबोधन में चीफ जस्टिस ने संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि और दृष्टिकोण का स्मरण करते हुए कहा कि भारतीय संविधान ऐसी दिशा-सूचक शक्ति है, जो न केवल लोकतंत्र को आकार देता है बल्कि हर व्यक्ति की गरिमा और अधिकारों की रक्षा भी करता है।
चीफ जस्टिस ने संविधान को जीवंत दस्तावेज़ बताते हुए इसमें निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की मूल भावना पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति संवैधानिकता में निहित है, जो राज्यसत्ता को सीमित, जवाबदेह और विधि-शासन के दायरे में रखती है।
अनुच्छेद 21 का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार न्यायालयों द्वारा व्यापक रूप से व्याख्यायित किया गया, जिसमें सम्मानजनक जीवन के लिए आवश्यक तत्व भोजन, स्वच्छ पेयजल, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छ पर्यावरण भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि शासन को मानवीय, उत्तरदायी और समाज के सबसे कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
न्यायपालिका की भूमिका पर बल देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान के सिद्धांतों को केवल व्याख्यायित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें व्यवहार में भी उतारना होगा। न्यायिक निर्णयों और प्रशासनिक कार्यों के माध्यम से निष्पक्षता, समानता, लोकतंत्र और मानवीय गरिमा को मजबूत किया जाना आवश्यक है। उन्होंने सार्वजनिक जीवन के सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वे संविधान में निहित आदर्शों के प्रति पुनः समर्पित हों।
कार्यक्रम को जस्टिस संजय के. अग्रवाल, जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू और जस्टिस रजनी दुबे ने भी संबोधित किया। सीनियर एडवोकेट मनोज विश्वनाथ परांजपे और एडवोकेट अदिति सिंघवी ने भी संविधान की निरंतर प्रासंगिकता और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में इसकी भूमिका पर विचार व्यक्त किए।
समारोह में हाईकोर्ट के जज जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास, जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी, जस्टिस दीपक कुमार तिवारी, जस्टिस सचिन सिंह राजपूत, जस्टिस राकेश मोहन पांडे, जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल, जस्टिस संजय कुमार जैसवाल, जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा, जस्टिस बिभु दत्ता गुरु और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त, एडवोकेट जनरल, सीनियर एडवोकेट, एडवोकेट संघ के सदस्य, रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्री अधिकारी, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (CGSLSA) के अधिकारी, ट्रेनिंग पर रहे सिविल जज (बैच 2024) और कोर्ट स्टाफ ने भी समारोह में भाग लिया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसने सभी उपस्थित व्यक्तियों को संविधान के मूल्यों को सशक्त करने और एक न्यायसंगत तथा समतामूलक भविष्य के निर्माण हेतु प्रेरित किया।