'वह बिकरू नरसंहार में सक्रिय रूप से शामिल था': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे की मदद करने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 2020 के कानपुर बिकरू एनकाउंटर में शामिल जयकांत बाजपेयी उर्फ जय द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि बिकरू कांड में आठ पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई थी और सात अन्य पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
जस्टिस मयंक कुमार जैन की पीठ ने पाया कि बाजपेयी इस घटना में सक्रिय रूप से शामिल था और उसने विकास दुबे को दो लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे, जिसे घटना में इस्तेमाल किया गया था। बाद में उसने विकास दुबे को भागने के लिए वाहन प्रदान किया था।
मामला
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2 जुलाई, 2021 की रात पुलिस के अधिकारी बड़ी संख्या में खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए थे, लेकिन किसी तरह विकास को सूचना मिली कि पुलिसकर्मी उसे गिरफ्तार करने आ रहे हैं, जिसके बाद वह अपने गुर्गों के साथ पुलिस के आने का इंतजार करने लगा।
जैसे ही पुलिसकर्मी वहां पहुंचे, विकास के सहयोगियों, जिनमें उसके रिश्तेदार भी शामिल थे, ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं, जिससे आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई और अन्य नौ गंभीर रूप से घायल हो गए। विवेचना के दौरान मुख्य आरोपी विकास दुबे के बयान के आधार पर खुलासा हुआ कि प्रार्थी-आरोपी (बाजपेयी) 2 जुलाई की शाम को विकास दुबे व अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ बैठक में मौजूद था।
जांच में आगे यह पाया गया कि आवेदक ने दुबे को पैसे और गोला-बारूद मुहैया कराया और उसके भागने के लिए उसे सुरक्षित मार्ग प्रदान किया।
नतीजतन, उस पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 332, 353, 333, 307, 302, 396, 412, 120-बी, 34, 504, 506 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने मामले में जमानत के लिए मौजूदा आवेदन दिया।
निष्कर्ष
अदालत ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 के अनुसार, यह स्पष्ट है कि एक मृत व्यक्ति द्वारा दिया गया बयान कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है और साक्ष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है, भले ही यह उसकी मृत्यु के कारण से संबंधित न हो।
इस संबंध में, अदालत ने दुबे के बयानों का अवलोकन किया और कहा कि बाजपेई के खिलाफ दुबे द्वारा दिए गए बयान को प्रथम दृष्टया बिकरू हत्याकांड में उनकी संलिप्तता का संकेत माना जाएगा।
इसके अलावा, अदालत ने बाजपेयी के खिलाफ अन्य सह-अभियुक्तों के बयानों पर ध्यान दिया और कहा,
“उपरोक्त बयानों के आधार पर, प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान आवेदक विकास दुबे का विश्वसनीय व्यक्ति था। मुख्य आरोपी विकास दुबे ने उसे अन्य आरोपियों के साथ 02.07.2020 की शाम को एक बैठक में भाग लेने के लिए साजिश रचने और आगे की योजना बनाने के लिए आमंत्रित किया, जिसे बिकरू हत्याकांड के रूप में जाना जाता है।
इस बैठक के दौरान, उपस्थित आवेदक ने मुख्य आरोपी विकास दुबे को अपराध में इस्तेमाल करने के लिए 2 लाख रुपये और 25 कारतूस प्रदान किए। इसके अलावा, वर्तमान आवेदक ने विकास दुबे से वादा किया कि घटना के बाद उसे सुरक्षित निकलने के लिए वाहन उसके घर के बाहर उपलब्ध होगा।
इसके अलावा, रमेश भवन राठौड़ बनाम विशनभाई हीराभाई मकवाना एलएल 2021 एससी 221 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, जिसमें यह माना गया था कि हाईकोर्ट को जमानदत देते समय समानता के पहलू को तय करने में आरोपी की भूमिका पर ध्यान देना चाहिए, कोर्ट ने कहा कि अपराध में उसकी मिलीभगत को देखते हुए वह समानता के आधार पर जमानत का हकदार नहीं है।
अदालत ने उक्त टिप्पणियों के साथ जमानत याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटलः जय कांत बाजपेयी @ जय बनाम यूपी राज्य 2023 लाइवलॉ (एबी) 190 [आपराधिक विविध जमानत आवेदन संख्या-30712/2021]
केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 190